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बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव से बाहर होने और कमला हैरिस के आने का असर क्या होगा?

बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव से बाहर होने और कमला हैरिस के आने का असर क्या होगा?

BBC Hindi

, सोमवार, 22 जुलाई 2024 (10:22 IST)
-एंथनी ज़र्चर (उत्तरी अमेरिका संवादादाता)
 
जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की रेस से ख़ुद को बाहर कर लिया है। बीते हफ़्तों में वो कई बार इस बात पर ज़ोर देते रहे कि वो डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बने रहेंगे। मगर लगातार बढ़ते दबाव के सामने झुकते हुए बाइडन ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से बाहर होने का फ़ैसला किया है। बाइडन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए समर्थन किया है।
 
अमेरिकी चुनाव को दिलचस्प बनाने वाले बाइडन के इस फ़ैसले का उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के लिए क्या मायने हैं?
 
कमला हैरिस: डेमोक्रेट्स क्या करेंगे?
 
कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाना एक ऐसा जोखिम हैं जिसे कई डेमोक्रेट्स उठाना चाहेंगे।
 
राष्ट्रपति पद के लिए कमला के उम्मीदवार बनने की संभावनाओं को बाइडन के समर्थन से बल मिला है।
 
बाइडन ने कमला का पूर्ण समर्थन किया है। बाइडन ने कहा कि 4 साल पहले कमला को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनना उनका बेहतरीन फ़ैसला था।
 
कमला ने जवाब देते हुए कहा कि वो बाइडन के समर्थन से सम्मानित महसूस कर रही हैं और उम्मीदवारी जीतने के लिए हर संभव कोशिश करेंगी।
 
ये संभव है कि ज़्यादातर डेमोक्रेट्स कमला को समर्थन देने के मामले में बाइडन के ही रास्ते पर चलेंगे।
 
एक महीने से कम वक़्त में डेमोक्रेट्स सम्मेलन होना है। ऐसे में डेमोक्रेट्स किसी तरह की अनिश्चितता की स्थिति से बचना चाहेंगे।
 
ऐसा करने के राजनीतिक और व्यावहारिक कारण हैं।
 
बाइडन के बाद कमला हैरिस दूसरे नंबर के संवैधानिक पद पर हैं। राष्ट्रपति पद का टिकट चाह रही एक पहली ब्लैक महिला को पीछे करना डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए घाटे का सौदा हो सकता है।
 
चुनाव प्रचार के लिए जुटाए गए 10 करोड़ डॉलर यानी क़रीब 836 करोड़ रुपये को भी कमला हैरिस इस्तेमाल कर सकेंगी।
 
जोखिम क्या हैं?
 
कमला के आगे बढ़ने के कुछ जोखिम भी हैं। पब्लिक ओपिनियन सर्वे बताते हैं कि कमला की अप्रूवल रेटिंग्स बाइडन की तरह ही कम हैं।
 
डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ आमने-सामने की लड़ाई में कमला हैरिस का प्रदर्शन भी बाइडन जैसा ही है।
 
दूसरी बात ये है कि बतौर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का कार्यकाल कुछ कठिनाई भरा रहा है।
 
प्रशासन संभालने के बाद कमला हैरिस को मेक्सिको से बढ़ते अवैध प्रवासियों के संकट से निपटने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।
 
ये एक बड़ी चुनौती है। कई क़दमों और फ़ैसलों के कारण कमला को इस मामले में आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।
 
गर्भपात से जुड़े अधिकारों के मामले में भी कमला व्हाइट हाउस प्रशासन की प्रमुख शख़्स रही हैं। ये एक ऐसा मुद्दा रहा है जिससे कमला ज़्यादा प्रभावी ढंग से निपटी हैं।
 
मगर शुरुआत में ही बन गई छवि इतनी जल्दी पीछा नहीं छोड़ती।
 
आख़िरी और शायद सबसे ज़रूरी बात। कमला हैरिस पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश कर चुकी हैं। मगर साल 2020 में वो इस कोशिश में बुरी तरह नाकाम साबित हुई थीं।
 
कमला तेज़ी से आगे तो बढ़ीं मगर कई इंटरव्यू में वो हकलाईं, बिना किसी विजन के दिखीं और उनका चुनाव प्रचार भी अच्छे ढंग से नहीं संभाला गया था।
 
इस कारण वो शुरुआती प्राइमरी से पहले ही बाहर हो गईं।
 
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कमला को चुनना डेमोक्रेट्स के लिए जोखिम भरा हो सकता है। मगर बात ये है कि अब और कोई सुरक्षित विकल्प नहीं बचा है।
 
अब दांव पर है डोनाल्ड ट्रंप की जीत।
 
डेमोक्रेट्स सम्मेलन में क्या हो सकता है?
 
बीते 50 सालों में हुए राजनीतिक सम्मेलन कुछ हद तक ऊबाऊ सम्मेलनों में तब्दील हो चुके हैं।
 
इन सम्मेलनों का एक-एक मिनट टीवी को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। ये सम्मेलन राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए कई दिनों तक चलने वाले विज्ञापन बन चुके हैं।
 
बीते हफ़्ते रिपब्लिकन सम्मेलन भी ऐसा ही था।
 
डोनाल्ड ट्रंप के नामांकन स्वीकार करने और लंबे भाषण के बावजूद सम्मेलन का मिज़ाज बदला नहीं।
 
अगले महीने डेमोक्रेट्स का सम्मेलन शिकागो में होना है जिसका स्वरूप काफ़ी अलग बन रहा है।
 
इस सम्मेलन के लिए बाइडन की प्रचार टीम जो भी तैयारी कर रही थी, वो सारी तैयारी अब खिड़की से बाहर फेंक दी गई होगी।
 
अगर बाक़ी डेमोक्रेट्स बाइडन की तरह ही कमला का समर्थन करें, तब भी चीज़ों की योजना बनाना, नियंत्रण में लेना और सम्मेलन की बातें एक मुश्किल काम है।
 
अगर इस सम्मेलन में कमला पार्टी को एकजुट करने में सफल नहीं रहीं तो ये सबके लिए खुला दरबार हो जाएगा। जहां कई उम्मीदवार डेमोक्रेटिक पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए कैमरों और बंद दरवाज़ों के पीछे कोशिश कर रहे होंगे।
 
ये एक दिलचस्प राजनीतिक फ़िल्म हो सकती है, जहाँ सब कुछ लाइव और अप्रत्याशित होगा। ये कुछ ऐसा होगा जिसे अमेरिकी जनता ने पहले कभी नहीं देखा होगा।
 
रिपब्लिकन पार्टी के लिए क्या मायने हैं?
 
इस साल हुए रिपब्लिकन पार्टी का सम्मेलन ध्यानपूर्वक आयोजित किया गया था। इसके तहत पार्टी के सबसे लोकप्रिय एजेंडे का प्रचार किया गया और आलोचना सिर्फ़ एक आदमी पर केंद्रित की गई- राष्ट्रपति जो बाइडन।
 
मगर अब हुआ ये कि रिपब्लिकन पार्टी जिस आदमी के पीछे पड़ी हुई थी, वो अब रेस में ही नहीं हैं।
 
बाइडन के रेस से बाहर होने के कारण रिपब्लिकन पार्टी का चुनावी प्रचार भी पलट जाएगा।
 
रिपब्लिकन पार्टी ने बीता हफ़्ता डेमोक्रेट की कमज़ोरियों को बताने वाले कार्यक्रमों में लगाया।
 
प्रचार टीम ने ट्रंप की ज़ोरदार एंट्री के ज़रिए शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश की।
 
इसके लिए मशहूर पहलवान हल्क हॉगन, डाना वाइट के अलावा किड रॉक को भी लाया गया।
 
अब आगे क्या?
 
किसी भी परिस्थिति में अब डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बाइडन से कम उम्र का ही होगा।
 
रिपब्लिकन पार्टी की कमज़ोर बनाम ताक़तवर की रणनीति कमला हैरिस के ख़िलाफ़ चल नहीं पाएगी। ये उन युवा गवर्नरों के ख़िलाफ़ भी नहीं चल पाएगी जिन्हें बाइडन की कुर्सी संभालने का दावेदार कहा गया।
 
अगर कमला हैरिस उम्मीदवारी जीतती हैं तो रिपब्लिकन पार्टी की कोशिश होगी कि बतौर उपराष्ट्रपति उनके कार्यकाल के दौरान की नाकामियों के बारे में बात करें।
 
महीनों तक कमला हैरिस को 'बॉर्डर ज़ार' कहा गया। बॉर्डर पर किए कामों में असफल रहने के कारण कमला को ये कहा जाता है।
 
उम्मीदवार कोई भी हो, रिपब्लिकन पार्टी बाइडन की उम्र संबंधी कमज़ोरियों पर आक्रामक ही रहने वाली है।
 
ट्रंप ये आरोप लगाएंगे कि देश को जोखिम में डाला गया।
 
इस समय जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कुछ महीने ही रह गए हैं, तब हर कोई एक अंधी उड़ान भर रहा है।

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