Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की सरकार और आम आदमी पार्टी कैसे चलेगी

Arvind Kejriwal

BBC Hindi

, शुक्रवार, 22 मार्च 2024 (09:26 IST)
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति में कथित अनियमितता के मामले में गुरुवार रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लिया गया। इससे पहले आम आदमी पार्टी के अहम नेता दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह गिरफ़्तार हो चुके हैं।
 
जब आम आदमी पार्टी के शीर्ष के सभी नेता जेल में हैं, ऐसे में पार्टी और दिल्ली की सरकार कैसे चलेगी, यह बड़ा सवाल है। एक ऐसे सक्षम नेतृत्व को तलाशने की चुनौती है, जो केजरीवाल की ग़ैरमौजूदगी में पार्टी और दिल्ली में सरकार को संभाल सके।
 
लोकसभा के चुनाव बिल्कुल क़रीब आ गए हैं, ऐसे में यह चुनौती और बड़ी हो गई है।
 
दिल्ली, पंजाब, हरियाण और गुजरात में पार्टी अपना चुनाव अभियान शुरू करने वाली थी और उसके स्टार प्रचारक केजरीवाल को होना था।
 
कुछ ख़बरों में कहा गया था कि गिरफ़्तारी की आशंका के बीच नेतृत्व को लेकर जिन नामों पर चर्चा चली, उनमें अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, दिल्ली सरकार में मंत्री अतिशी और सौरभ भारद्वाज के नाम शामिल हैं।
 
दिल्ली सरकार में अतिशी पर शिक्षा, वित्त, पीडब्ल्यूडी, राजस्व समेत सबसे अधिक पोर्टफोलियो की ज़िम्मेदारी है। उन्हें केजरीवाल का ख़ास माना जाता है।
 
इसी तरह सौरभ भारद्वाज भी दिल्ली कैबिनेट के प्रमुख सदस्य हैं और स्वास्थ्य और शहरी विकास जैसे कई महत्वपूर्ण पोर्टफ़ोलियो संभाल रहे हैं।
 
हालांकि अतिशी और सोमनाथ भारती ने पत्रकारों से कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं देंगे।
 
अतिशी ने कहा कि 'ज़रूरत पड़ी तो वो जेल से ही सरकार चलाएंगे। कोई भी क़ानून जेल से सरकार चलाने पर प्रतिबंध नहीं लगाता क्योंकि उन्हें कोई सज़ा नहीं हुई है। केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, हैं और रहेंगे।'
 
गुरुवार का घटनाक्रम
 
ईडी की टीम गुरुवार की शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पर जब पहुंची तभी ये कयास लगाए जाने लगे थे कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी हो सकती है।
 
रात क़रीब 9 बजे आप नेता अतिशी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की पुष्टि की और कहा कि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने सर्वोच्च अदालत से इस मामले में तत्काल सुनवाई की अपील की है।
 
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि रात में ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है।
 
उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री आवास की पूरी तलाशी ली गई। सिर्फ 70,000 रुपये नक़द में मिले, जिसे ईडी वापस कर गई। मुख्यमंत्री जी का मोबाइल ले लिया गया और उन्हें गिरफ़्तार करके ले गए हैं। पूरे छापे में कोई ग़ैरक़ानूनी पैसा, कागज़ या सबूत नहीं मिला।'
 
इस बीच मुख्यमंत्री आवास से बाहर भारी संख्या में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इकट्ठा होकर नारेबाज़ी करने लगे। सीएम आवास के बाहर दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी थी।
 
दिल्ली पुलिस ने आप के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इस हंगामे के बीच ईडी केजरीवाल को ईडी हेडक्वार्टर ले गई।
 
दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने इसे 'लोकतंत्र की हत्या' बताया तो पार्टी के राज्य सभा सांसद राघव चढ्ढा ने कहा कि 'भारत में अघोषित इमरजेंसी है।'
 
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अरविंद केजरीवाल को आठ बार समन जारी किए थे। पिछले साल नवंबर और दिसंबर में दो, इस साल जनवरी में दो, फ़रवरी में तीन और मार्च में एक समन। इन सभी समन में केजरीवाल एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं गए।
 
अरविंद केजरीवाल ने गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था जिसे अदालत ने गुरुवार को ख़ारिज कर दिया। इस याचिका पर भी शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
 
बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने कहा, 'यह क़ानूनी प्रक्रिया है, जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई के दृष्टिकोण से हो रही है, जिसमें उन्हें न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली। क़ानून को अपना काम करने दिया जाए।'
 
उधर, विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा की है।
 
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 'उन्हें लगता है कि इससे इंडिया गठबंधन हिल जाएगा या डिरेल हो जाएगा, वे ग़लत सोच रहे हैं... इन क़दमों से स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी को अपनी हार दिख रही है।'
 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव, सपा नेता अखिलेश यादव, एनसीपी (एससीपी) नेता शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी नेता कुणाल घोष समेत कई नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की निंदा की है।
 
केजरीवाल का दिलचस्प राजनीतिक सफ़र
 
भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी और आईआईटी के छात्र रहे केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक ज़मीन 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में तैयार की थी।
 
साल 2002 के शुरुआती महीनों में केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा से छुट्टी लेकर दिल्ली के सुंदरनगरी इलाक़े में एक्टिविज़्म करने लगे।
 
यहीं केजरीवाल ने एक ग़ैर-सरकारी संगठन स्थापित किया जिसे 'परिवर्तन' नाम दिया गया।
 
उन्हें पहली बड़ी पहचान साल 2006 में मिली जब 'उभरते नेतृत्व' के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया।
 
साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में हुए कथित घोटाले की ख़बरें मीडिया में आने के बाद लोगों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा बढ़ रहा था। सोशल मीडिया पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन मुहिम शुरू हुई और केजरीवाल इसका चेहरा बन गए।
 
केजरीवाल ने अपना पहला बड़ा धरना जुलाई 2012 में 'अन्ना हज़ारे के मार्गदर्शन में' जंतर-मंतर पर शुरू किया।
 
26 नवंबर 2012 को केजरीवाल ने अपनी पार्टी के विधिवत गठन की घोषणा की। केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी में कोई हाई कमान नहीं होगा और वो जनता के मुद्दों पर जनता के पैसों से चुनाव लड़ेंगे।
 
केजरीवाल ने राजनीति का रास्ता चुना तो उनके गुरू अन्ना हज़ारे ने भी कह दिया कि वो सत्ता के रास्ते पर चल पड़े हैं।
 
शुरुआती दिनों में अरविंद को जो मिल रहा था उसे वो पार्टी से जोड़ रहे थे। उनकी ये संगठनात्मक क्षमता ही आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताक़त बनी। केजरीवाल ने ऐसे स्वयंसेवक जोड़े, जो भूखे रहकर भी उनके लिए काम करने के लिए तैयार थे। लाठी डंडे खाने के लिए तैयार थे।
 
इन्हीं स्वयंसेवकों के दम पर केजरीवाल ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा। राजनीति में पदार्पण करने वाली उनकी पार्टी ने 28 सीटें जीतीं। स्वयं केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित को पच्चीस हज़ार से अधिक वोटों से हराया। लेकिन उन्हें सरकार इन्हीं शीला दीक्षित की कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर बनानी पड़ी।
 
केजरीवाल जल्द से जल्द जनलकोपाल बिल पारित कराना चाहते थे। लेकिन गठबंधन सरकार में साझीदार कांग्रेस तैयार नहीं थी। अंततः 14 फ़रवरी 2014 को केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया और फिर सड़क पर आ गए।
 
कुछ महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने थे। केजरीवाल बनारस पहुँच गए लेकिन बनारस में केजरीवाल तीन लाख सत्तर हज़ार से अधिक मतों से हार गए।
 
लेकिन इसके अगले साल ही दिल्ली के लिए हुए विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 जीत कर केजरीवाल ने इतिहास बनाया और 14 फ़रवरी 2015 को फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ ली।
 
इस बीच राष्ट्रीय राजनीति में आम आदमी पार्टी का क़द और बढ़ा है और उसके साथ ही केजरीवाल का भी।
 
पंजाब में आप की सरकार है। दिल्ली के एमसीडी चुनाव में पार्टी को बहुमत मिला तो यूपी के नगर निकाय चुनावों में पार्टी के करीब 100 उम्मीदवार जीते।
 
पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में भी उसे आधा दर्जन से अधिक सीटों पर सफलता मिली और कई जगहों पर उसके उम्मीदवारों को अच्छा समर्थन मिला।
 
पिछले साल ही चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया।
 
इंडिया गठबंधन में शामिल होकर आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय मंच पर अपना कद बढ़ाने की कोशिश में है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मृत्यु की भविष्यवाणी में एआई को 78 फीसदी कामयाबी