Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

दुनिया की सबसे ख़तरनाक जगह घूमने जाएंगे?

दुनिया की सबसे ख़तरनाक जगह घूमने जाएंगे?
, शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017 (12:13 IST)
- एलन दत्ता विलियम्स (चेर्नोबिल, यूक्रेन से)
एक वक़्त में चेर्नोबिल में लोगों को जाने की मनाही थी। वजह 31 साल पहले 1986 में हुआ परमाणु हादसा। लेकिन वक्त बीतने के साथ चेर्नोबिल अब धीरे-धीरे रोमांच पसंद करने वाले घुमक्कड़ों को अपनी ओर खींच रहा है।
 
इनमें से कुछ घुमक्कड़ तो ऐसे हैं, जो चेर्नोबिल में हाल ही में सरकार की ओर से खोले गए हॉस्टल में पूरी रात गुज़ार रहे हैं। दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु हादसे वाली जगह में लोगों की ऐसी दिलचस्पी तनिक हैरान करती है।
 
भारत से यूक्रेन की दूरी क़रीब पांच हज़ार किलोमीटर है। यूक्रेन की राजधानी किएव से दो घंटे की दूरी पर 30 किलोमीटर के क्षेत्रफल में चेर्नोबिल एक्सक्लूयजन जोन है। इसे दुनिया की उन चंद खतरनाक जगहों में गिना जाता है, जहां लोग एक तय वक्त तक ही ठहर सकते हैं। ऐसा न करना खतरे को दावत दे सकता है।
 
इस जगह कोई यूं ही आसानी से नहीं पहुंच सकता। हमें यहां पहुंचने के लिए सरकार से ख़ास इजाज़त और रेडिएशन मॉनीटर करने वाले उपकरणों से लैस होना होता है।
 
जब पर्यटकों के लिए खोला गया चेर्नोबिल
कड़ाके की ठंड वाले दिसंबर महीना होने के बावजूद चेर्नोबिल पहुंचने वाले हम अकेले नहीं थे। हर सुबह एक स्पेशल टूर गाइड और घूमने वाले लोगों के साथ एक बस इस वीरान इलाके में आती है। साल 2011 में यूक्रेन की सरकार के इस जगह को पर्यटकों को खोलने के बाद अब तक हज़ारों लोग यहां आ चुके हैं।
 
यहां आने वाले लोगों में विदेशी भी शामिल होते हैं। ऐसे में सरकार ने कुछ वक्त पहले ही एक्सक्लूजिव जोन के भीतर एक नया हॉस्टल खोला है। यहां आप सिर्फ 500 रुपये खर्च कर एक रात गुज़ार सकते हैं। 96 बेड वाले इस हॉस्टल का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। वजह हैं अमरीका, ब्राज़ील, चेक रिपब्लिक, पोलैंड और यूके से आने वाले टूरिस्ट।
 
हॉस्टल मैनेजर स्विटलाना ग्रित्सेंको बताती हैं, ''जब लोग यहां ठहरने आते हैं तो उन्हें ये साफ तौर पर चेता दिया जाता है कि बाहर रुकना ज़्यादा सुरक्षित नहीं है।''
 
चेर्नोबिल पहली नज़र में ऐसा मालूम होता है, जैसे ये अब भी पुराने दौर में अटका हुआ है। लेकिन चेर्नोबिल का ये होस्टल मेहमानों के लिए बनाए गए आधुनिक टी-रूम और तेज स्पीड वाले वाई-फाई से लैस है।
 
चेर्नोबिल घूमने के अनुभव वाकई अजब ग़ज़ब हैं। पर्यटकों को रेडिएशन चैक से होकर गुज़रना होता है। यहां बच्चों को जाने की इजाज़त नहीं है। इस बात को लेकर सख्त नियम हैं कि चेर्नोबिल की किस जगह बिलकुल नहीं जाना है और किसी भी चीज़ को हाथ नहीं लगाना है।
 
शर्तें मंज़ूर, तब होगी एंट्री
गाइड ओलेकसंद्र हमसे एक पेपर साइन करवाते हैं। इस पेपर में यहां के नियम और शर्तें लिखी हुई हैं। वो हमें बताते हैं कि क्या खाना है, क्या पीना और घूम्रपान करना है या नहीं करना है। ओलेकसंद्र हमें ये भी बताते हैं कि इस जगह से जाने से पहले जो रेडिएशन चैक होता है। उस चैक में फेल होने पर यहां आए लोगों को अपने जूते भी यहां छोड़कर जाने पड़ सकते हैं।
 
लेकिन ऐसी चेतावनियों का रोमांच पसंद करने वाले पर्यटकों पर कोई असर पड़ता हुआ नज़र नहीं आता है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न से किम हेनविन अपने भाई रयान के साथ यहां आई हैं।
 
किम हेनविन बताती हैं, ''मेरे दोस्त ने मुझे पहली बार इस जगह के बारे में बताया था। जब हम यूक्रेन आए तो मुझे लगा कि इतनी पास आकर ये जगह तो घूमनी बनती है। अब जब हम यहां घूम लिए हैं तो मैं इसे आने को घूमने वालों के लिए 'मस्ट-डू' कहूंगी। मतलब यहां तो ज़रूर आइए।''
 
जहां थमा वक्त
अब चेर्नोबिल से 20 किलोमीटर दूर प्रिप्यात की तरफ चलते हैं। 26 अप्रैल 1986 को चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट की यूनिट-4 में विस्फोट हुआ था और हवा में रेडियोएक्टिव मटेरियल घुल गया था। इस हादसे के बाद मानों प्रिप्यात के लिए वक्त जैसे थम गया है।
 
इस हादसे के कुछ ही हफ्तों के भीतर 30 कर्मचारी और मदद करने पहुंचे अपनी जान गंवा चुके थे। तब इस इलाके के करीब दो लाख लोगों को बचा लिया गया था। यहां आने वाले लोग वीरान प्रिप्यात में मलबे से भरी बिल्डिंग्स को लाइन से देख सकते हैं। बर्फ से ढकी कारें और विशाला फेरी व्हील यानी बड़े वाले झूले का पीला रंग अब तक नहीं उतरा है।
 
'नियमों को मानिए, सुरक्षित रहिए'
बच्चों के एक हॉस्टल में पलंग पर एक बच्ची की डॉल देखकर मन में थोड़ा खौफ होता है। यूक्रेन की सरकार का कहना है कि ये जोन खतरनाक नहीं है, बस आपको समझदारी भरा रवैया अपनाना होगा।
 
यूक्रेन के इकोलॉजी एंड नेचुरल रिसोर्स मिनिस्टर ऑस्टेप सेमेराक बीबीसी को बताते हैं, ''आप यहां तभी सुरक्षित महसूस करेंगे, जब आप यहां के नियमों को सख्ती के साथ मानें। जैसे ही आप लापरवाही बरतेंगे, आपकी सेहत को ख़तरा हो सकता है।''
 
सेमेराक कहते हैं, ''न्यूक्लियर रिएक्टर को ढकने के लिए बनाए गए एक तरह के टेंट को बनाने के लिए क़रीब 10 हजार लोगों ने चार साल तक काम किया। ज़ाहिर है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी को खतरे में डालते हुए ये काम किया था।''
 
क्या वाकई है खतरा?
ब्रिटेन में सेंटर फोर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के प्रोफेसर निक बेरेसफोर्ड मानते हैं कि यहां के खतरे को संभाला जा सकता है। वो बताते हैं, ''पर्यटक इस जोन में सिर्फ एक या दो दिन रुकते हैं। ऐसे में हवा के ज़रिए जो डोज़ उनके भीतर जाती है, वो बेहद कम होती है। इस जोन में जाने वालों के मुकाबले ये भी संभव है कि अगर कोई प्लेन से यूक्रेन आ रहा है तो उसके भीतर ज़्यादा डोज़ जाए।
 
चर्नोबिल को सुरक्षित बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी कोशिशें हो रही हैं। यूरोपियन बैंक फोर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (ईबीआरडी) समेत कुछ अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं ने न्यूक्लियर प्लांट को सुरक्षित बनाने के लिए पैसा खर्च किया है। फिलहाल बनाए गए सुरक्षा कवच अगले 100 सालों तक रेडिएशन को संभाल सकता है।
 
जिन्होंने छोड़ा चेर्नोबिल
ईबीआरडी के चेर्नोबिल शेल्टर फंड के प्रमुख ने कहा, ''न्यूक्लियर प्लांट के पुराने ढांचे की वजह से किसी अनहोनी होने की आशंका कम ही है। लेकिन अगर 30 किलोमीटर के ज़ोन में रेडिएशन के स्तर की बात करें तो ये कवच रेडिएशन को चमात्कारिक तौर पर दूर नहीं करता है।''
 
इस जोन के रेडिएशन स्तर के खतरे से हर कोई इत्तेफाक नहीं रखता है। इस हादसे के दो साल बाद 80 साल के इवान सेमेंयुक अपने गांव पारुशेव लौट आए थे और वो तब ये यहीं खेती कर रहे हैं। वो बताते हैं, ''रिएक्टर में बहुत तेज़ धमाका रात को हुआ था। वहां से ऐसी आवाज़ें आती रहती थीं तो हम धमाके से डरे नहीं थे।''
 
ये बुजुर्ग चेर्नोबिल को अब सुरक्षित मानते हैं। वो कहते हैं, ''ये अच्छी बात है कि पर्यटक अब चेर्नोबिल को रुख कर रहे हैं। अच्छा है कि इस जगह को लेकर उनके मन का ख़ौफ ख़त्म हो।''

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

इस्लाम से पहले के ईरान का इतिहास