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कोरोना लॉकडाउन-4: नए रूप रंग में कैसा होने वाला है?

कोरोना लॉकडाउन-4: नए रूप रंग में कैसा होने वाला है?

BBC Hindi

, बुधवार, 13 मई 2020 (07:23 IST)
सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कर दिया है कि लॉकडाउन 4 आएगा। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा, "लॉकडाउन का चौथा चरण, लॉकडाउन 4, पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए, हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।"
 
इसके बाद से ही चर्चा है कि नए रूप रंग वाला लॉकडाउन 4, आख़िर कैसा होगा? इसका जवाब बहुत हद तक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की बैठक में से निकल कर सामने आया है।
 
राज्यों को इस लॉकडाउन में मिलेंगे ज़्यादा अधिकार?
भारत में अब तक जितने लॉकडाउन के फ़ेज दिखे हैं, उन सबमें एक बात जो आम थी, वो थी केंद्र सरकार का क़ानून बनाना। गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ़ से आदेश जारी होता था और राज्य सरकारों को अमल में लाना होता था।
 
लेकिन सोमवार को मुख्यमंत्रियों की बैठक में कई राज्यों ने माँग की है कि राज्यों को अपने हिसाब से नियम तय करने में छूट मिले, चाहे वो रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में ज़िलों को बाँटने की बात हो, या फिर लॉकडाउन बढ़ाने की बात हो, या फिर मज़दूरों को लाने ले जाने की बात हो।
 
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सुझाव दिया कि रेड ज़ोन को छोड़कर लॉकडाउन में ढील देने का फ़ैसला राज्य सरकारों पर छोड़ना चाहिए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यात्री ट्रेन सेवा को शुरू नहीं करने का अनुरोध किया है।
 
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कोरोना वायरस लॉकडाउन को बढ़ाने की मांग की है। ममता बनर्जी ने भी केंद्र पर राज्य के काम में हस्तक्षेप करने के आरोप कई बार पहले भी लगाए हैं।
 
इन राज्यों के रुख़ से साफ़ है कि वो आगे के फ़ैसले में अपनी भागीदारी चाहते हैं। हो सकता है कि लॉकडाउन-4 में बहुत हद तक केंद्र सरकार राज्यों को ऐसी छूट देने के लिए मान जाए, क्योंकि केंद्र को अब अर्थव्यवस्था पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। । इसके संकेत आज के भाषण में भी प्रधानमंत्री मोदी ने दिए।
 
कई और अर्थिक गतिविधियों की होगी अनुमति
 
प्रधानमंत्री मोदी ने आज के भाषण में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, ताकि संकट के इस काल में देश आत्मनिर्भर बन सके। इससे एक उम्मीद जगी है कि देश में और नई नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे, सिस्टम दुरुस्त होगा, तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होगा।
 
केंद्र सरकार पर कई और आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने का दवाब उद्योग संगठनों की तरफ़ से लगातार बनाया जा रहा था।
 
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की तरफ़ से 8 मई को ही 15 लाख करोड़ के पैकेज की माँग की गई है। उनके मुताबिक़ 50 दिन से कई कंपनियां बंद पड़ी हैं, उनके पास लोगों को सैलेरी देने तक के पैसे नहीं हैं। मध्यम एवं लघु उद्योगों को मदद ना दी गई तो वो दोबारा खड़े नहीं हो पाएंगे।
 
आज प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से ऐसा लगा कि उद्योग जगत के हिस्से भी 20 लाख करोड़ में से कुछ आएगा।
 
गली मोहल्ले वाली दुकानें और बाज़ार
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारे जो रेहड़ी वाले भाई-बहन हैं, ठेला लगाने वाले हैं, पटरी पर सामान बेचने वाले हैं, जो हमारे श्रमिक साथी हैं, जो घरों में काम करने वाले भाई-बहन हैं, उन्होंने इस दौरान बहुत तपस्या की है, त्याग किया है। ऐसा कौन होगा जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया।" इससे साफ़ है कि छोटे व्यापारियों की दशा से वो वाक़िफ हैं।
 
भारत में रीटेल व्यपारियों के संगठन, कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) के प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं, "पिछले 50 दिनों में सरकार को 1लाख 15 हज़ार करोड़ के जीएसटी का नुक़सान हुआ है। हम व्यापारियों का जो हो रहा है वो अलग। हमने सरकार को बाज़ार खोलने के कई सुझाव दिए हैं। उम्मीद है सरकार लॉकडाउन-4 में हमारी भी सुनेगी।"
 
सरकार को सौंपे गए प्लान को बीबीसी से साथ साझा करते हुए प्रवीण खंडेलवाल ने कहा:
 
• बाज़ार हफ़्ते में 6 दिन के बजाए, शुरूआत में 2 या 3 दिन खोलने का सुझाव दिया है। सरकार ऐसा भी कर सकती है कि सड़क की एक तरफ़ वाली दुकानें एक दिन खुलें और दूसरी तरफ़ वाली दुकानें दूसरे दिन खुलें।
 
• इसके अलावा अलग-अलग टाइमिंग पर बाज़ार खोलने के बारे में भी हमने सरकार को सुझाव दिए हैं।
 
• सरकार से कैट ने ये भी कहा कि खुदरा व्यापारी, व्यापार के तौर तरीक़ों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हर दिशा निर्देश का पालन करने के लिए तैयार हैं।
 
बहुत संभव है कि सरकार लॉकडाउन-4 में उनके सभी सुझाव तो नहीं लेकिन कुछ एक सुझाव मान ले। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सरकार और व्यापरियों दोनों के हित में होगा।
 
पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी चल सकते हैं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से लॉकडाउन-4 से जुड़े सुझाव मांगे हैं। इसके लिए उन्होंने फ़ोन, ईमेल और वॉट्सऐप नंबर भी जारी किए हैं। सुझाव में उन्होंने बस, मेट्रो, ऑटो, टैक्सी खोलना चाहिए या नहीं उस पर जनता की राय मांगी है।
 
दरअसल 12 मई से सीमित संख्या में रेल यात्रा दिल्ली से शुरू हो रही है। इसमें जिनके पास कंफ़र्म टिकट होगा, उनके लिए स्टेशन आने जाने के लिए कुछ गाड़ियों को इजाज़त दी गई है।
 
कई सरकारी और प्राइवेट संस्थान भी लॉकडाउन-3 में खोले जा चुके हैं। लॉकडाउन-4 में बाज़ार और कुछ ऑफ़िस और खुलेंगे तो आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट खोलना, मजबूरी भी है और ज़रूरी भी।
 
हर आदमी के पास अपनी गाड़ी होती नहीं। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए, बहुत मुमकिन है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट फ़िक्स टाइमिंग के साथ खोलने की अनुमति दी जाए।
 
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई लोकल चलाने के लिए रेल मंत्री से माँग की है ताकि आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को सहूलियत हो सके।
 
केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने भी लॉकडाउन-4 में घरेलू उड़ान खोले जाने के संकेत पहले ही दिए हैं।
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ख़ुद प्रधानमंत्री के साथ बैठक में कंटेनमेंट ज़ोन के अलावा सब चीज़ें खोलने की बात कही है, उससे एक अंदाज़ा ये लगाया जा रहा है कि दिल्ली मेट्रो भी कुछ रियायतों और सख़्ती के साथ चलाई जा सकती है।
 
अस्पताल में ओपीडी और मोहल्ले के क्लीनिक
कोरोना के दौर में अबतक नॉन कोरोना वाली बीमारियों पर सबकी निगाहें नहीं जा रही थीं। लेकिन इस बीच मलेरिया, चिकनगुनिया, सर्जरी, थैलेसीमिया जैसी बीमारियों वाले लोगों और डायलिसिस कराने वाले लोगों को इलाज मिलने में मुश्किल आ रही है। इसलिए ज़्यादातर अस्पतालों में इमरजेंसी के साथ-साथ ओपीडी सेवाएं भी खोली जा रहीं हैं।
 
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि जब तक कोरोना के लिए वैक्सीन या दवा नहीं मिल जाती, तब तक बीमारी के साथ जीने की आदत डालने की ज़रूरत है।
 
ऐसे में अब धीरे-धीरे हमें लॉकडाउन-4 में थोड़ा और चीज़ों को खोलने की ज़रूरत है। ज़रूरी चीज़ो पर 50-60 से ज़्यादा दिनों की रोक नहीं लगाई जा सकती। डॉ। रेड्डी उस संस्था से जुड़े हैं, जिनसे सरकार समय-समय पर सुझाव मांगती रही है।
 
"क्या इसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता?" डॉ। रेड्डी के मुताबिक़ ये सवाल हमें घर से बाहर निकलने के पहले ख़ुद से पूछना होगा। तभी हम कोरोना के साथ सतर्क हो कर जीवन जी सकेंगें।
 
स्कूल, कॉलेज, मॉल और सिनेमा हॉल का क्या होगा?
हालांकि लॉकडाउन-4 में कुछ सेवाएं जो बंद रखी जा सकती हैं वो हैं, स्कूल, कॉलेज, मॉल और सिनेमाघर। तुरंत इन सुविधाओं की ज़रूरत फ़िलहाल नहीं दिखाई दे रही।
 
हालांकि जीविका का संकट यहां भी है। लेकिन जानकारों के मुताबिक़ ये ज़रूरत नहीं बल्कि लक्ज़री में आती है। इसलिए ये सभी सेवाएं थोड़े दिन और बंद रहना अफोर्ड भी कर सकती है।
 
लेकिन जहां भी छूट मिलने की गुंज़ाइश है, वहां ये बात अब जोड़ने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि हर जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क पहनना और हाथ धोने के जो बेसिक उपाए हैं, वो करते रहने पड़ेंगे।
 
सरकार इन सब कामों में आरोग्य सेतु ऐप को एक ई-पास के तौर पर इस्तेमाल करने की बात पहले ही कह चुकी है।

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