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ट्रेड वॉर की बंदूक ट्रंप ने भारत की ओर क्यों की

ट्रेड वॉर की बंदूक ट्रंप ने भारत की ओर क्यों की

BBC Hindi

, बुधवार, 10 जुलाई 2019 (15:57 IST)
टीम बीबीसी हिन्दी
नई दिल्ली

अमेरिका और चीन में जारी 'ट्रेड वॉर' की बंदूक की नली अब भारत की तरफ़ भी मुड़ती दिख रही है। मंगलवार की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर साफ़ कर दिया कि उनके निशाने पर केवल चीन ही नहीं है बल्कि भारत भी है, लेकिन ट्रंप की नीतियों के कारण भारत और अमेरिका के बीच एक साल से तनाव है।
 
ट्रंप ने मंगलवार को ट्वीट किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैक्स लगा रहा है। इसे लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ट्रंप ने चीन के साथ ट्रेड वॉर की शुरुआत की थी तो इसी तरह के दावे किए थे।
 
पिछले महीने भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स लगा दिया था और यह भारत की जवाबी कार्रवाई थी। अमेरिका ने 1 जून को भारत को कारोबार में दी विशेष छूट वापस ले ली थी और कहा था कि इसके ज़रिए भारत अमे‍रिकी बाज़ार में 5.6 अरब डॉलर का सामान बिना टैक्स के बेच रहा था।
 
हालांकि दुनिया भर का ध्यान केवल अमेरिका और चीन के ट्रेड वॉर पर है। दूसरी तरफ़ ट्रंप प्रशासन 2018 से ही भारत के साथ कारोबारी टकराव के रास्ते पर है। मार्च 2018 में जब ट्रंप ने इस्पात और एल्युमिनियम के आयात पर टैक्स लगाने की घोषणा की तो इसका असर भारत समेत कई देशों पर पड़ा।
 
पीटरसन इंस्टि्यूट फोर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के एक विश्लेषण के अनुसार भारत से 76.1 करोड़ डॉलर के एल्युमिनियम के आयात पर 25 फ़ीसदी का टैक्स लगा और 38.2 करोड़ डॉलर के आयात पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगा।
 
मार्च में ही ट्रंप प्रशासन ने एक और फ़ैसला किया जिससे भारत को ट्रेड एक्ट ऑफ 1974 के तहत मिली विशेष छूट को ख़त्म कर दिया। ट्रंप प्रशासन का तर्क था कि भारत अमेरिकी उत्पादों को अपने बाज़ार में बराबर और उचित पहुंच नहीं दे रहा है इसलिए यह फ़ैसला लिया गया।
 
ट्रंप प्रशासन का यह फ़ैसला 1 जून से लागू हो गया। इसका मतलब यह था कि भारत भी कोई जवाब कार्रवाई करेगा। भारत ने भी कुछ ख़ास अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स लगा दिया। ट्रंप के फ़ैसले से भारत से निर्यात होने वाले 5.6 अरब डॉलर के कारोबार प्रभावित हो रहे हैं।
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भारत ने टैक्स के ज़रिए अमेरिका के कृषि उत्पादों को टारगेट किया है। पीटरसन इंस्टिट्यूट फोर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के सीनियर शोधकर्ता चैड बॉन ने न्यूज़वीक से कहा है कि भारत के पलटवार से अमेरिकी बादाम का निर्यात प्रभावित हुआ है। भारत कैलिफ़ोर्निया 60.0 करोड़ डॉलर का बादाम आयात करता है और वॉशिंगटन से सेब।
 
अमेरिका का भारत वस्तुओं के कारोबार में नौवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अगर दोनों देशों में करोबारी टकराव गहराता है तो अमेरिकी हित भी प्रभावित होंगे।
 
पिछले साल अमेरिका ने भारत से 33.1 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था जबकि भारत से आयात 54.4 अरब डॉलर का किया था। ज़ाहिर है इसमें अमेरिका को 21.3 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हो रहा है।
 
अमेरिका ने पिछले साल 7.9 अरब डॉलर के महंगे धातु और पत्थर का निर्यात भारत से किया था। ये सबसे महंगे निर्यात की श्रेणी में आते हैं। इसी तरह अमेरिका ने 6.2 अरब डॉलर के खनिज ईंधन का भी निर्यात भारत से किया था।
 
इसके अलावा 3.0 अरब डॉलर का एयरक्राफ़्ट उत्पाद और 2.2 अरब डॉलर की मशीनरी का निर्यात किया था। दूसरी तरफ़ पिछले साल अमेरिका ने 11 अरब डॉलर के महंगे धातु और पत्थर का आयात किया था।
 
इसके अलावा 6.3 अरब डॉलर के मेडिकल उत्पाद, 3.3 अरब डॉलर की मशीनरी, 3.2 अरब डॉलर के खनिज ईंधन और 2.8 अरब डॉलर की गाड़ियां भारत से आयात किया था।
 
स्टील और एल्युमिनियम पर भारी टैक्स से भारतीय आयात भी प्रभावित हुए हैं। इसका असर इलेक्ट्रिकल उत्पाद, मशीनरी और केमिकल्स पर पड़े हैं। बॉन कहते हैं कि ''टैक्सों के बढ़ने से भारतीय उत्पादों का निर्यात अमेरिकी बाज़ार में मुश्किल होगा और इससे अमरीकी उपभोक्ता प्रभावित होंगे।
 
हालांकि यह साफ़ नहीं है कि ट्रंप भारत के साथ टकराव को आगे बढ़ाएंगे या सीमित ही रखेंगे। ट्रंप अंतरराष्ट्रीय व्यापार को फिर से आकार देने की कोशिश कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि इस युद्ध में अमेरिका की जीत होगी। वो विदेश नीति में टैक्स को टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
ट्रंप का यह ट्वीट तब आया है जब दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से कारोबार पर बातचीत होनी है। भारत ने अमेरिका के 28 उत्पादों पर पिछले महीने 5 जून से जवाबी टैक्स लगाया है।
 
भारत के इस फ़ैसले का विरोध अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में भी किया है। दूसरी तरफ़ भारत ने भी अमेरिका के अतिरिक्त उत्पाद शुल्क का मुद्दा डब्ल्यूटीओ में उठाया है।
 
डब्ल्यूटीओ में भारत के पूर्व राजदूत जयंत दासगुप्ता ने लाइव मिंट से कहा है कि ट्रंप प्रशासन ने बातचीत से पहले ट्वीट कर दबाव बानने की रणनीति चली है। उनका कहना है कि ट्रंप ने पिछले महीने मोदी से बातचीत के पहले भी इसी तरह का ट्वीट किया था और उन्होंने इसी पैटर्न को आगे बढ़ाया है।
 
27 जून को ट्रंप और मोदी की जी-20 की बैठक से अलग जापान के ओसाका शहर में बातचीत से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट किया था कि ''मैं भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलने जा रहा हूं। उनसे बात करूंगा कि भारत लंबे समय से अमेरिका के ख़िलाफ़ टैक्स ले रहा है। यहां तक कि हाल ही में इसे बढ़ा दिया है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और भारत इसे वापस ले।
 
ट्रंप भारत को टैरिफ़ किंग कहते हैं। वे हर बार हार्ले डेविडसन बाइक पर भारत के 50 फ़ीसदी टैक्स का ज़िक्र करते हैं। 1990 के दशक के बाद से अमेरिका और भारत के रिश्तों में गर्मजोशी बढ़ती गई। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और भारतीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के बाद से दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने एक दूसरे को स्वाभाविक साझेदार माना।
 
भारत को अमेरिका के क़रीब आने में लंबा वक़्त लगा क्योंकि भारत और रूस में रणनीतिक साझेदारी ऐतिहासिक रूप से रही है। राष्ट्रपति ट्रंप के कारण एक बार फिर से दोनों देशों के रिश्तों में अविश्वास बढ़ा है।
 
ट्रंप भारत को एचबी-1 वीज़ा और मेटल्स टैरिफ़ पर पहले ही झटका दे चुके हैं। अमेरिका और भारत की दोस्ती को लेकर कहा जाता है कि अमेरिका एक ऐसी शक्ति है जिस पर भरोसा करना मुश्किल होता है और भारत इसी वजह से इस दोस्ती को लेकर अनिच्छुक रहता है।

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