Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

अफ़ग़ान देश छोड़ना चाहते हैं, पर वे जाएं तो जाएं कहां?

BBC Hindi
शुक्रवार, 20 अगस्त 2021 (07:22 IST)
सारा अतीक़, बीबीसी उर्दू, पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा से
दुनिया के कई नेताओं ने अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने को बेताब लोगों की मदद करने का वादा किया है। लेकिन, ऐसा लगता है कि उनकी मदद बढ़ने की बजाए उनकी राह में रूकावटें बढ़ती जा रही हैं।
 
ऐसे में सवाल उठता है कि शरणार्थियों की मदद के लिए इस समय दुनिया में क्या हो रहा है? सवाल यह भी उठता है कि कहीं अब अंतरराष्ट्रीय प्रवासी संकट तो नहीं मंडरा रहा है?
 
सतह पर देखें तो अभी अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सबसे व्यस्त सीमा पर स्थिति लगभग सामान्य-सी दिख रही है। ले
किन ज़रा ग़ौर से देखेंगे तो पता चलेगा कि अब कितना कुछ बदल गया है।
 
कुछ दिन पहले, घबराए हुए सैकड़ों अफ़ग़ान सीमावर्ती शहर तोर्ख़म में इकट्ठा हुए थे। लेकिन केवल व्यापारियों या वैध यात्रा दस्तावेज़ों वाले लोगों को ही सीमा पार करने की अनुमति दी जा रही है। पाकिस्तान सीमा पर मौजूद अधिकारियों ने बीबीसी उर्दू को बताया कि उन्होंने पाकिस्तान में आने की कोशिश करने वालों की जांच पहले से बढ़ा दी है।
 
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने बताया कि पाकिस्तान में पहले से ही क़रीब 14 लाख पंजीकृत अफ़ग़ान दशकों से रह रहे हैं। गैर-पंजीकृत लोगों को ध्यान में रखेंगे तो ये आंकड़ा दोगुना हो जाता है।
 
बढ़ती रुकावटें
तालिबान के क़ब्ज़े के बाद, संभावित बड़े प्रवासी संकट से बचाव के लिए दुनिया के कई देशों ने उपाय करना शुरू कर दिया है।
 
यूएनएचसीआर के अनुसार, ईरान में अभी क़रीब 7,80,000 अफ़ग़ान वैध रूप से रहे हैं। ईरान ने अब सीमा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी अफ़ग़ान को अपने देश में न आने दें।
 
तुर्की में इस समय सीरिया के 36 लाख पंजीकृत शरणार्थियों के साथ दूसरे देशों के भी 3।2 लाख शरणार्थी रह रहे हैं। वह लंबे समय से ईरान के ज़रिए अपने देश में आने वाले अफ़ग़ान प्रवासियों की संभावित लहर से परेशान है।
 
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने ईरान से लगती अपनी सीमा पर एक दीवार खड़ी करने का वादा किया है। यहां पिछले कुछ हफ़्तों में सैकड़ों अफ़ग़ान सीमा पार कर देश में घुस चुके हैं।
 
अंतरराष्ट्रीय समुदाय मदद के लिए क्या कर रहा है?
इस बीच, अमेरिका और यूरोपीय देश पिछले 20 साल के सैन्य अभियान के दौरान अपने साथ काम कर चुके अफ़ग़ानिस्तान के हजारों इंटरप्रेटर और अन्य स्टाफ़ को वहां से निकाल रहे हैं।
 
इसके लिए अमेरिका ने 26 हज़ार से अधिक विशेष आप्रवासी वीज़ा (एसआईवी) जारी किया है ताकि उनके काम आ चुके लोगों और उनके परिवार वालों को अमेरिका ले जाया जा सके।
 
अमेरिका की उप-विदेश मंत्री वेंडी शरमन ने बुधवार को बताया कि अमेरिकी सैन्य विमानों ने पिछले 24 घंटों में क़रीब दो हज़ार लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला है।
 
हालांकि उन्होंने कहा कि तालिबान अपने सार्वजनिक बयानों के विपरीत देश से बाहर जाने वाले अफ़ग़ानों को एयरपोर्ट तक पहुंचने से रोक रहा है।
 
अमेरिका के अनुरोध पर युगांडा भी 2,000 अफ़ग़ानियों को अपने यहां शरण देने पर सहमत हो गया है।
 
इस बीच, कनाडा ने घोषणा की है कि तालिबान के प्रतिशोध से लोगों को बचाने के लिए वह 20 हज़ार महिला नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को शरण देगा।
 
ब्रिटेन ने भी पांच साल के दौरान 20 हज़ार लोगों को अपने यहां बसाने का वादा किया है। इसके तहत पहले 5,000 शरणार्थियों के इस साल आने की उम्मीद है।
 
बुधवार को उज़्बेकिस्तान से अफ़ग़ान शरणार्थियों को लेकर आने वाली पहली फ़्लाइट जर्मनी पहुंची।
 
जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा है कि 10,000 लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकालने की आवश्यकता होगी। इन लोगों में अफ़ग़ानों के साथ जर्मन लोगों के साथ काम करने वाले लोग, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और ख़तरे में पड़े अन्य लोग शामिल हैं।
 
वहीं यूरोपीय संघ के नेताओं ने चिंता जताई है कि अफ़ग़ानिस्तान की ताज़ा स्थिति के बाद यूरोप में बड़ा प्रवासी संकट आ सकता है।
 
सोमवार को एक टीवी संबोधन में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोप के देशों को "प्रवासियों के वृहत अनियमित प्रवाह से ख़ुद को बचाना और इनकी संख्या का अनुमान लगाना चाहिए।"
 
मैक्रों ने कहा, "ताज़ा संकट का बोझ अकेले यूरोप नहीं उठा सकता।"
 
'लोगों को सुरक्षित लेकर आएं'
अफ़ग़ान संकट पर पश्चिमी देशों के रुख़ ने पहले ही इस आलोचना को जन्म दे दिया कि ऐसे देश जोख़िम के वक़्त अफ़ग़ानों की पर्याप्त मदद नहीं कर रहे।
 
शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एलीना ल्यापिना ने कहा कि उनकी सरकार अफ़ग़ानियों की मदद करने में विफल हो गई है। उन्होंने इस बारे में बर्लिन में एक विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया जिसकी मांग थी कि जर्मन सरकार और अधिक शरणार्थियों को अपने यहां बुलाए।
 
एलीना ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हम ख़तरे में पड़े अफ़ग़ानियों की सुरक्षा के लिए उन्हें तत्काल एयरलिफ़्ट करके जर्मनी लाने की मांग करते हैं।"
 
कुछ समय पहले तक पश्चिमी देश अफ़ग़ानिस्तान से दूसरे देशों में रहने गए लोगों को वापस उनके देश भेजने वाली उड़ानें चला रहे थे।
 
बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रांडी ने ऐसे देशों से अनुरोध किया था कि वे आगे से निर्वासन की इस मुहिम को रोक दें।
 
ग्रांडी ने अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों, विशेषकर ईरान और पाकिस्तान से अपील की कि वे ख़तरे में पड़े अफ़ग़ानों को बचने के लिए अपनी सीमाओं को खोल दें।
 
'तत्काल मदद'
हालांकि फ़िलिपो ग्रांडी ने स्वीकार किया है कि ये दोनों देश लंबे समय से अफ़ग़ानों के लिए एक आश्रय स्थल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शरणार्थी समस्या से निपटने के लिए इन देशों को आगे शायद ख़ासी वित्तीय और रसद की जरूरत पड़ेगी।
 
लंबी अवधि के दौरान इस संकट को दूर करने के लिए एक बड़े पुनर्वास कार्यक्रम की आवश्यकता हो सकती है।
 
हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें संदेह है कि बड़े पैमाने पर प्रवासी संकट पैदा होगा क्योंकि अफ़ग़ानों को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है।
 
उन्होंने आगे कहा, "हम एक महत्वपूर्ण चीज़ न भूलें, वो ये कि अफ़ग़ानिस्तान के भीतर ही क़रीब 30 लाख लोग विस्थापित हैं। लाखों लोग पिछले कुछ दिनों में विस्थापित हुए हैं। उन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है।"
 
ग्रांडी के अनुसार, "अफ़ग़ानिस्तान में आए भूचाल के बावजूद हालात को शांत करने के लिए काम जारी रखने वाली मानवतावादी संस्थाओं की मदद करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि ज़्यादातर लोगों के लिए यही प्रयास एकमात्र सहारा होगा।"

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, 4.1 लाख मतों के अंतर से जीत

election results : अब उद्धव ठाकरे की राजनीति का क्या होगा, क्या है बड़ी चुनौती

एकनाथ शिंदे ने CM पद के लिए ठोंका दावा, लाडकी बहीण योजना को बताया जीत का मास्टर स्ट्रोक

Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

UP : दुनिया के सामने उजागर हुआ BJP का हथकंडा, करारी हार के बाद बोले अखिलेश, चुनाव को बनाया भ्रष्टाचार का पर्याय

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

सस्ता Redmi A4 5G लॉन्च, 2 चिपसेट वाला दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन

Vivo Y19s में ऐसा क्या है खास, जो आपको आएगा पसंद

क्या 9,000 से कम कीमत में आएगा Redmi A4 5G, जानिए कब होगा लॉन्च

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

આગળનો લેખ
Show comments