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श्री राम ने अयोध्या में ही क्यों जन्म लिया, इन नगरों में क्यों नहीं?

Ayodhya

WD Feature Desk

, सोमवार, 8 जनवरी 2024 (18:42 IST)
Ram Janmabhoomi Ayodhya: प्रभु श्रीराम के जन्म के पहले अयोध्या को छोड़कर और भी कई भव्य और पवित्र नगर हुआ करते थे। इंद्र की अमरावती, शिव की काशी और अवंतिका, मधु की मधुपुरी यानी मथुरा, सहस्त्रबाहु अर्जुन की महिष्मती, श्रीहरि विष्णु की हरिद्वार और ऋषिकेश, ब्रह्मा की पुष्कर, प्रयाग, गया और कांची आदि। इसके अलावा सिंधु और गंगा तट के कई प्राचीन नगर सहित और भी कई स्थान थे, लेकिन श्रीराम ने अपने जन्म के लिए अयोध्या को ही क्यों चुना?
 
सप्तपुरी : हिंदू धर्म में सात नगरों को बहुत ही प्राचीन और पवित्र माना जाता है। उनमें से अयोध्या को हिन्दू पौराणिक इतिहास में सबसे पवित्र और सबसे प्राचीन सप्त पुरियों में प्रथम माना गया है। सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका को शामिल किया गया है।
 
हर नगर का अपना एक अलग धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। काशी और उज्जैन में शिव पहले से ही जहां विराजमान हो तो वह नगरी उन्हीं की कहलाएगी। काशी को शिव की प्रथम नगरी कहा जाता है, जो शिव के त्रिशूल पर बसी है। इसी तरह प्रत्येक नगरी का अपना अलग महत्व है जो राम के अवतार के लिए उचित नहीं मानी जा सकती थी।
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अयोध्या का महत्व : 
  • सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर को रामायण अनुसार प्रथम धरतीपुत्र 'स्वायंभुव मनु' ने बसाया था।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए। 
  • विष्णुजी ने उन्हें अवधधाम में एक उपयुक्त स्थान बताया। 
  • विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्‍पी विश्‍वकर्मा को भेज दिया।
  • सभी देवताओं ने ही यह तय किया कि श्रीहरि के रामावतार के लिए यह जगह उपयुक्त है।
  • हालांकि इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी। स्‍कंदपुराण के अनुसार अयोध्‍या भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान है।
  • अयोध्या का सबसे पहला वर्णन अथर्ववेद में मिलता है। 
  • अथर्ववेद में अयोध्या को 'देवताओं का नगर' बताया गया है, 'अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या'।
  • अयोध्या जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभनाथ की जन्मभूमि भी है। अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। इसलिए भी यह भूमि बहुत महत्वपूर्ण रही है।
  • स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है। इसका शाब्दिक अर्थ है जहां पर युद्ध न हो। यह अवध का हिस्सा है। अयोध्या का अर्थ -जिसे कोई युद्ध से जीत न सके।
 
पौराणिक कथा :-
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए। विष्णुजी ने उन्हें अवधधाम में एक उपयुक्त स्थान बताया। विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्‍पी विश्‍वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्‍त स्‍थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्‍ठ को भी उनके साथ भेजा। मान्‍यता है कि वशिष्‍ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया, जहां विश्‍वकर्मा ने नगर का निर्माण किया। स्‍कंदपुराण के अनुसार अयोध्‍या भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान है।

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