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राम मंदिर : अयोध्या जाएगी कानपुर प्रांत के 21 जिलों के पौराणिक स्थल की माटी, जल व गंगाजल

राम मंदिर : अयोध्या जाएगी कानपुर प्रांत के 21 जिलों के पौराणिक स्थल की माटी, जल व गंगाजल

अवनीश कुमार

, गुरुवार, 30 जुलाई 2020 (18:09 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के अयोध्या में बनने जा रहे भव्य राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख नजदीक आ गई है और 500 साल पुराना सपना अब पूरा होने जा रहा है, जिसको लेकर अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमिपूजन को लेकर कानपुर व आसपास के जिलों में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं।

जिसको लेकर विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष राजीव महाना कानपुर प्रांत के सभी 21 जिलों के पौराणिक स्थल की माटी, जल व गंगाजल लेकर अयोध्या पहुंचेंगे।

इस मिट्टी का प्रयोग भूमिपूजन में भी किया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास व संतजनों के मार्गदर्शन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री रामलला की जन्मभूमि पर भूमिपूजन करेंगे। विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय सहमंत्री दीनदयाल गौड़ ने बताया कि कानपुर प्रांत के 21 जिलों के प्रमुख पौराणिक स्थल की माटी, जल व गंगाजल अयोध्या भेजा जाएगा।
 
विशेष रूप से अयोध्या भेजा जाएगा ब्रह्मावर्त (बिठूर) की माटी और गंगा जल 
प्रभु राम का कानपुर के बिठूर से अटूट नाता रहा है जिसके चलते अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन में ब्रह्मावर्त (बिठूर) की माटी और गंगा जल विशेष रूप से अयोध्या भेजा जाएगा। ब्रह्मावर्त घाट धरती का केंद्रबिंदु तो है ही, महर्षि वाल्मीकि, माता-सीता व उनके बेटों लव-कुश की स्मृतियां भी जुड़ी हैं। बिठूर का रामायण काल से प्रभु राम से अटूट नाता रहा है। यहीं वाल्मीकि आश्रम है, जहां सीताजी वनदेवी के रूप में रहा करती थीं। सीता रसोई व में भोजन बनाती थीं लव-कुश आश्रम है तो ब्रह्मेश्वर मंदिर के पास स्थित ब्रह्म खूंटा भी हैजिसके लिए कहा जाता है कि अश्वमेध यज्ञ के लिए छोड़ा घोड़ा लव-कुश ने इसी में बांधा था। नारदजी ने महर्षि वाल्मीकि को जो 100 श्लोक सुनाए थे, वह वर्तमान में भी यहां स्तंभ पर लिखे हैं। मान्यता है कि इन्हीं सौ श्लोक के जरिए रामायण लिखी गई। यही वजह है कि ब्रह्मावर्त की पावन माटी और यहां से गंगा जल लेकर विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष राजीव महाना अयोध्या में भूमिपूजन में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
 
इन धार्मिक स्थलों की भेजी जाएगी मिट्टी, जल व गंगाजल  
 
जानकारी के अनुसार अयोध्या में प्रभु राम के भव्य मंदिर के शिलान्यास के लिए कानपुर के बिठूर, मस्कर घाट, नाना राव पार्क,पनकी हनुमान मंदिर,खेरेश्वर महादेव मंदिर, आनन्देश्वर मंदिर, जागेश्वर महादेव मंदिर, सिद्धनाथ महादेव मंदिर, वनखंडेश्वर महादेव मंदिर, नागेश्वर महादेव मंदिर, नित्येश्वर महादेव मंदिर, श्रीरामलला मंदिर, श्री.मां. चंद्रिका देवी मंदिर, श्री मां बारादेवी मंदिर, श्री मां तपेश्वरी देवी मंदिर, फर्रुखाबाद के घटिया घाट, बरगदिया घाट, ढाईघाट, सौरिक, कन्नौज के देवी मंदिर, गौरीशंकर मंदिर तिर्वा, चित्रकूट के रामघाट, अनुसुइया आश्रम, गुप्तगोदावारी, स्फटिक शिला,कामतानाथ, भरत कूप, हनुमानधारा, शरभंग आश्रम, धारकुंडी, मारकुंडी, बांदा
के वामदेवेश्वर मंदिर, कालिंजर, महोबा के छोटी चंडिका, बड़ी चंडिका, श्रीनगर किला, रामजी हनुमानजी मंदिर, जालौन के जालौन माता बागरा, पचनद, मधुवन महाराज, झांसी का किला, ओरछा मंदिर, फतेहपुर के अश्वत्थामा मंदिर, राजा भगवंत खीकी महल, भृग मुनि का आश्रम, बिंदकी में बावन इमली, ललितपुर का दशावतार मंदिर व अन्य सभी प्रमुख स्थानों की मिट्टी व जल शामिल है।

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