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टोना अलग है, टोटका अलग है, जानिए क्या अंतर है दोनों में

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टोना बहुत अलग है टोटके से, जानिए कैसे 
 
अकसर लोग टोने और टोटके को एक समझने की भूल कर बैठते हैं जबकि दोनों में बहुत ज्यादा अंतर है। आइए जानते हैं कि टोने और टोटके में क्या फर्क है? 
 
टोने और टोटके के बीच भ्रम और सत्य तथा वास्तविक अंतर की बात करेंगे क्योंकि आज भी लोग इन दोनों ही रूपों की वास्तविकता से अनभिज्ञ हैं और जाने-अनजाने इन दोनों को एक ही बात समझते हैं।
 
वास्तव में टोने और टोटके के बीच पहला और स्पष्ट अंतर है कि टोना केवल बुरा करने के उद्देश्य से किया जाता है जबकि टोटका किसी अच्छे काम को साधने के उद्देश्य से। यानि टोना साध्य को पाने का गलत तरीका है और टोटका साध्य को हासिल करने का पवित्र तरीका है।
 
टोने का प्रमुख लक्ष्य शत्रु हानि है जो किसी भी दुश्मन के लिए आजमाया जाता है। यानि एक ऐसा संकल्प जो किसी की हानि की कामना से की जाए और उसके लिए कुछ पूर्व निश्चित रीति अपनाई जाए ताकि भौतिक या अध्यात्मिक तौर से लक्षित व्यक्ति का नुकसान हो जाए। जबकि टोटके में स्वयं के हित रहता है लेकिन किसी और का नुकसान कतई नहीं... यहां किसी के लिए बुरा नहीं सोचा जाता सिर्फ अपने लिए अच्छा सोचा जाता है। अ पने लिए अ‍च्छा सोचने में यह ध्यान रखा जाता है कि किसी और को नुकसान न हो.. ज बकि टोना किया ही इसलिए जाता है कि किसी और को नुकसान, हानि और संकट दिया जाए... 
 
टोटके का प्रमुख तत्व संकल्प से अधिक निर्धारित शास्त्रीय विधि है, जिसे सही ढंग से पूरा किए बगैर कोई भी परिणाम हासिल नहीं हो सकता है।

ध्यान रहे कि टोने की कोई पूर्व निर्धारित शास्त्रीय रीति नहीं है इसलिए ज्यादातर मामलों में ये मनगढ़ंत और छद्म जाल फैलाने वालों की मर्ज़ी पर निर्भर करता है कि वे उसे कैसे प्रचारित करते हैं।

जबकि टोटका अधिकांश मामलों में पूरी तरह विधि-विधान पर आधारित है और इसके काम करने की गारंटी तभी मानी जा सकती है जबकि विशुद्ध तरीके से उल्लिखित विधान का पालन किया जाए।
 
टोने और टोटकों के बारे में सबसे मजेदार बात ये है कि ये सभी भौगोलिक-जलवायुविक-पारिस्थितिक-पर्यावरणिक-सामाजिक वातावरण में मौज़ूद रहे हैं तथा अलग-अलग काल खंडों में इनकी दशा-दिशा समान रही है। मुश्किल केवल ये है कि यदि इन्हें अफ्रीका के आदिवासी-कबीलाई समाज में आजमाया जाता है तो भाषाई व सांस्कृतिक स्तर पर ये एशियाई देशों में अपनाए जाने वाले तरीकों से भिन्न होते हैं।
 
टोटके तंत्र-मंत्रोक्त क्रिया के अंतर्गत आते हैं। हर टोटका विशुद्ध तरीके से दो बातों पर निर्भर करता है, पहला कि उसके लिए क्रियाविधि कौन सी अपनाई गई है और दूसरा कि उसके लिए किस भाषा में किस मंत्र का प्रयोग किया गया है।
 
कई टोटके बिल्कुल जनसाधारण की भाषा में आजमाए जाते हैं जबकि कुछ जटिल टोटके पूरी तरह क्लिष्ट संस्कृत में आबद्ध होते हैं। हालांकि इनके विषय में सामान्य धारणा ये है कि इन पर भाषाई क्लिष्टता का कोई असर नहीं होता वरन् उस क्रियाविधि का इनके सफलीभूत होने में ज्यादा महत्व है, जिनकी सहायता से इनका आयोजन किया जाता है।
 
टोटकों की महत्ता इसमें भी है कि इन्हें आजमाते वक्त होने वाली गलतियां क्षम्य हैं भले ही प्रयोग विधि की त्रुटियों के कारण इनका कोई लाभ न मिल सके। लेकिन टोने अगर गलत हो जाए तो वह करने वाले पर पलटवार भी कर सकते हैं यानी जो स्थिति अपने दुश्मन की चाह रहे हैं वह स्वयं आपकी भी हो सकती है अगर सावधानियां नहीं रखी... 

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