Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

चारों तरफ से सफलता और सम्मान देते हैं मंत्र जाप...

चारों तरफ से सफलता और सम्मान देते हैं मंत्र जाप...
webdunia

पं. प्रणयन एम. पाठक

12 राशियों में 9 ग्रहों के विचरने से 108 प्रकार की शुभ-अशुभ स्थितियों का निर्माण होता है, जो हर मानव को प्रभावित करती हैं।
 
हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसके साथ सिर्फ अच्छी परिस्थितियां हों, पर बुरी परिस्थितियां भी आ जाती हैं और हर कोई मन-मसोसकर कहता है कि होनी को कौन टाल सकता है? पर बुरी परिस्थितियों को टाला जा सकता है या उसका प्रभाव इतना कम किया जा सकता है कि वे नाममात्र का नुकसान कर चली जाएं।
 
कलयुग में होने का एक ही फायदा है कि हम मंत्र जप कर बड़े-बड़े तप-अनुष्ठान का लाभ पा सकते हैं। मंत्र अगर गुरु ने दीक्षा देकर दिया हो तो और प्रभावी होता है। जिन्होंने मंत्र सिद्ध किया हुआ हो, ऐसे महापुरुषों द्वारा मिला हुआ मंत्र साधक को भी सिद्धावस्था में पहुंचाने में सक्षम होता है। 
 
सद्गुरु से मिला हुआ मंत्र ‘सबीज मंत्र’ कहलाता है, क्योंकि उसमें परमेश्वर का अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है। मंत्र जप से एक तरंग का निर्माण होता है, जो मन को उर्ध्वगामी बनाते हैं। जिस तरह पानी हमेशा नीचे की ओर बहता है उसी तरह मन हमेशा पतन की ओर बढ़ता है अगर उसे मंत्र जप की तरंग का बल न मिले।
 
कई लोग टीका-टिप्पणी करते हैं कि क्या हमें किसी से कुछ चाहिए, तो क्या उसका नाम बार-बार लेते हैं? पर वे नासमझ हैं और मंत्र की तरंग विज्ञान से अनजान हैं। मंत्र जाप का प्रभाव सूक्ष्म किंतु गहरा होता है।
 
जब लक्ष्मणजी ने मंत्र जप कर सीताजी की कुटीर के चारों तरफ भूमि पर एक रेखा खींच दी तो लंकाधिपति रावण तक उस लक्ष्मण रेखा को न लांघ सका। हालांकि रावण मायावी विद्याओं का जानकार था। किंतु ज्यों ही वह रेखा को लांघने की इच्छा करता, त्यों ही उसके सारे शरीर में जलन होने लगती थी। 
 
मंत्र जप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती-जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है। मंत्र जप से चित्त पावन होने लगता है। रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं। भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं। सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है। जैसे ध्वनि तरंगें दूर-दूर तक जाती हैं, ऐसे ही नाद-जप की तरंगें हमारे अंतरमन में गहरे उतर जाती हैं तथा पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं। 
 
इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि का विकास होने लगता है। अधिक मंत्र जप से दूरदर्शन, दूरश्रवण आदि सिद्धियां आने लगती हैं, किंतु साधक को चाहिए कि वह इन सिद्धियों के चक्कर में न पड़े, वरन अंतिम लक्ष्य परमात्मा-प्राप्ति में ही निरंतर संलग्न रहे।
 
मंत्र जप मानव के भीतर की सोई हुई चेतना को जगाकर उसकी महानता को प्रकट कर देता है। यहां तक कि जप से जीवात्मा ब्रह्म-परमात्म पद में पहुंचने की क्षमता भी विकसित कर लेता है। इसलिए रोज किसी एक मंत्र का हो सके, उतना अधिक से अधिक जाप करने की अच्छी आदत अवश्य विकसित करें। अत: मंत्र जाप से व्यक्तिगत जीवन में सफलता तथा सामाजिक जीवन में सम्मान मिलता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

देवी स्कंदमाता : मां दुर्गा की पांचवीं शक्ति