Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती : कालिदास रचित इस स्तुति से खुलेगा सौभाग्य

पं. हेमन्त रिछारिया
अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती कालिदास रचित यह सर्वाधिक लोकप्रिय और असरकारी कालिका स्तुति है। इस पर नृत्य प्रस्तुतियां आपने बहुत देखी होंगी, आइए पढ़ें यह दिव्य स्तुति, इसके पढ़ने से सौभाग्य चमकता है, सफलता के दरवाजे अपने आप खुलने लगते हैं...  
 
कालिका स्तुति
 
अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती मेदिनि, विश्व विनोदिनी नन्दिनुते।
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी, विष्णु विलासिनीजिष्णुनुते।।
भगवति हे शितिकण्ठ कुटुम्बिनी, भूरि कुटुम्बिनी भूत कृते।
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
अयि जगदम्ब कदम्ब वन प्रिय, वासिनी वासिनी वासरते।
शिखर शिरोमणी तुंग हिमालय, श्रृंगनिजालय मध्यगते।।
मधुमधुरे मधुरे मधुरे, मधुकैटभ भंजनि रासरते।
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
सुर वर वर्षिणी दुर्धरधर्षिणी, दुर्मुखमर्षिणी घोषरते।
दनुजन रोषिणी दुर्मदशोषिणी, भवभयमोचिनी सिन्धुसुते।।
त्रिभुवन पोषिणी शंकर तोषिणी, किल्विषमोचिणी हर्षरते।
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्डवितुण्डित शुण्ड गजाधिपते।
रिपुगजदण्डविदारण खण्ड, पराक्रम चण्ड निपाति मुण्ड मठाधिपते।।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
अयि सुमन: सुमन: सुमन: सुमन:, सुमनोरम कान्तियुते।
श्रुति रजनी रजनी रजनी, रजनी रजनीकर चारुयुते।।
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर, भ्रमराधिपते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
सुरललना प्रतिथे वितथे, वितथेनियमोत्तर नृत्यरते।
धुधुकुट धुंगड़ धुंगड़दायक, दानकूतूहल गानरते।।
धुंकट धुंकट धिद्धिमितिध्वनि, धीर मृदंग निनादरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
जय जय जाप्यजये जयशब्द परस्तुति तत्पर विश्वनुते।
झिणिझिणिझिणिझिणिझिंकृत नूपुर, झिंजिंत मोहित भूतरते।। 
धुनटित नटार्द्धनटी नट नायक, नायक नाटितनुपुरुते। 
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
महित महाहवमल्लिम तल्लिम, दल्लित वल्लज भल्लरते।
विरचित पल्लिक पुल्लिक मल्लिक, झल्लिकमल्लिक वर्गयुते।।
कृत कृत कुल्ल समुल्लस तारण, तल्लिज वल्लज साललते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते।।
 
यामाता मधुकैटभ प्रमथिनी या महिषोन्मलूनी।
या धूम्रेक्षण चण्डमुण्ड मथिनी या रक्तबीजाशनी।।
शक्ति: शुम्भ निशुम्भ दैत्य दलिनी या सिद्धि लक्ष्मी परा।
सा चण्डी नवकोटि शक्ति सहिता मां पातु विश्वेश्वरी।।
 
।।इति श्रीकालिदास विरचित् कालिक स्तुति।।
 
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
 
साभार : ज्योतिष : एक रहस्य

सम्बंधित जानकारी

ज़रूर पढ़ें

इस धनतेरस अपनी राशि के अनुसार खरीदें ये वस्तुएं, लक्ष्मी माता की कृपा से हमेशा भरी रहेगी तिजोरी

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

दिवाली क्यों मनाई जाती है? जानें इतिहास, महत्व और कहानी

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

किसके लिए नया सप्ताह रहेगा लकी, पढ़ें 12 राशियों का साप्ताहिक राशिफल

सभी देखें

नवीनतम

24 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Diwali 2024: धनतेरस और दिवाली पर वाहन खरीदनें के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त | Date-time

Guru Pushya Yoga 2024: गुरु पुष्य नक्षत्र के समय वाहन और सोना खरीदी का शुभ मुहूर्त

Mangal Gochar : मंगल का होगा कर्क राशि में गोचर, 3 राशियों के जीवन में खड़ी होंगी परेशानियां

આગળનો લેખ
Show comments