नवग्रहों में गुरु ग्रह ही सर्वश्रेष्ठ क्यों?
नवग्रहों में गुरु या बृहस्पति ग्रह को ही सर्वश्रेष्ठ ग्रह क्यों माना जाता है। गुरु की राशि धनु और मीन है। गुरुवार इनका दिन है। गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। यह दिन ब्रह्मा और बृहस्पति का दिन माना गया है। गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है गुरु। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं मंगल का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति दोगुना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रह के साथ से बृहस्पति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है। आओ जानते हैं कि नवग्रहों में गुरु ही सर्वश्रेष्ठ क्यों।
1. गुरु ही बचाता है धरती को : मानव जीवन पर बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है।
2. धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक : सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है।
3. गुरु की उपाधि : नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है।
4. गुरु से ही प्रारंभ होते मांगलिक कार्य : गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ ही मांगलित कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि गुरु से ही मंगल होता है। इसके उदय होने से ही मंगल कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
5. भाग्य जागृत करने वाला ग्रह : बृहस्पति का साथ छोड़ना अर्थात आत्मा का शरीर छोड़ जाना माना जाता है। कुंडली में बृहस्पति अच्छा है तो जीवन में सबकुछ अच्छा ही होगा। कुंडली में चौथा, पांचवां और नौवें भाव पर अपना प्रभाव रखते हैं। चौथे में अच्छा फल देते हैं और नौवें में भाग्य खोल देते हैं।
6. व्रत करने से जागृत भाग्य : गुरुवार का व्रत करने से मनुष्य के भाग्य खुल जाते हैं। जातक को गुरुवार का व्रत अवश्य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है।
7. गुरु का वार गुरुवार : हिन्दू धर्म में गुरुवार को रविवार से भी श्रेष्ठ और पवित्र दिन माना गया है। यह धर्म का दिन होता है। इस दिन मंदिर जाना जरूरी होता है।
8. ईशान दिशा के देवता : गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है।
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