Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ज्योतिष और शनि का अटूट है रिश्ता, पढ़ें शनि जयंती पर विशेष आलेख

पं. हेमन्त रिछारिया
ज्योतिष शास्त्र में शनि की अहम् भूमिका है। नवग्रहों में शनि को न्यायाधिपति माना गया है। ज्योतिष फ़लकथन में शनि की स्थिति व दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। किसी भी जातक की जन्मपत्रिका का परीक्षण कर उसके भविष्य के बारे में संकेत करने के लिए जन्मपत्रिका में शनि के प्रभाव का आंकलन करना अति-आवश्यक है। 

ALSO READ: 15 मई को है शनि जयंती, पढ़ें कथा क्यों है शनिदेव के पैर में पीड़ा
 
शनि स्वभाव से क्रूर व अलगाववादी ग्रह हैं। जब ये जन्मपत्रिका में किसी अशुभ भाव के स्वामी बनकर किसी शुभ भाव में स्थित होते हैं तब जातक के अशुभ फ़ल में अतीव वृद्धि कर देते हैं। शनि मन्द गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं। शनि की तीन दृष्टियां  होती हैं- तृतीय, सप्तम, दशम। 
 
शनि जन्मपत्रिका में जिस भाव में स्थित होते हैं वहां से तीसरे, सातवें और दसवें भाव पर अपना दृष्टि प्रभाव रखते हैं। शनि की दृष्टि अत्यन्त क्रूर मानी गई है अत: शनि जिस भी भाव या ग्रह पर अपनी दृष्टि डालते हैं उसकी हानि करते हैं। शनि कार्यों में विलम्ब का प्रमुख कारण होते हैं। उदाहरणार्थ यदि शनि की दृष्टि सप्तम भाव या सप्तमेश पर पड़ रही है तो ऐसी स्थिति में शनि के कारण जातक का विवाह बहुत विलम्ब से होता है। शनि एक क्रूर है अत: शनि के प्रभाव वाला जातक क्रूर स्वभाव वाला होता है। शनि का रंग काला है जिसके फ़लस्वरूप शनि के प्रभाव वाले जातकों का रंग भी सांवला या काला होता है। 

ALSO READ: बस इन 8 छोटी-छोटी बातों का रखेंगे ध्यान, तो शनि देंगे मनचाहा वरदान
 
शनि; सूर्य के पुत्र हैं किन्तु उनके नैसर्गिक शत्रु भी हैं अत: सिंह राशि व सिंह लग्न वाले जातकों के लिए शनि अक्सर अशुभ फ़लदायक ही होते हैं। शनि के प्रभाव वाली स्त्रियां क्रूर, क्रोधी व जिद्दी स्वभाव वाली होती हैं। शनि जिस भाव पर प्रभाव डालते हैं उससे जातक का अलगाव कर देते हैं जैसे सप्तम भाव पर प्रभाव से जीवनसाथी से, दशम भाव पर प्रभाव से आजीविका से, द्वितीय भाव पर प्रभाव से घर-परिवार; प्रारम्भिक शिक्षा से, पँचम भाव पर प्रभाव से प्रेमी-प्रेमिका; उच्चशिक्षा आदि से दूर करते हैं। 
 
शनि आयु के नैसर्गिक कारक हैं, अष्टमस्थ शनि दीर्घायुदायक होते हैं। शनि के जन्मपत्रिका में बलवान एवं शुभ होने से सत्ता और सेवक का सुख प्राप्त होता है। कुण्डली में शनि के शुभ व अनुकूल होने पर खनन, लौह, तेल, कृषि, वाहन आदि से जातक को लाभ होता है। ज्योतिष अनुसार शनि दु:ख के स्वामी भी है अत: शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुखी और अशुभ होने पर सदैव दु:खी व चिन्तित रहता है। शुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को आशातीत लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को घोर व असहनीय कष्ट देते हैं। अशुभ एवं प्रतिकूल होने पर शनि की शान्ति कराना लाभदायक रहता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

ALSO READ: शनैश्चर जयंती 15 मई को, जानिए इस दिन कैसे प्रसन्न करें शनिदेव को

सम्बंधित जानकारी

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

23 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

આગળનો લેખ
Show comments