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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नागपंचमी : कालसर्प दोष की पूजा कहां-कहां होती है?

नागपंचमी : कालसर्प दोष की पूजा कहां-कहां होती है?

अनिरुद्ध जोशी

कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी के दिन को सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि इस दिन नागों की पूजा का विधान है। इसलिए इस दिन कालसर्प दोष वालों को चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करने को कहा जाता है इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आओ जानते हैं कि कहां कहां होती है कालसर्प दोष निवारण की पूजा।
 
 
1. त्र्यंबकेश्वर : द्वादश ज्योतिर्लिंग में से केवल एक नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का नागपंचमी के दिन अभिषेक, पूजा की जाए तो इस दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक के पास गोदावरी के तट पर स्थित है। कालसर्प योग से मुक्ति के लिए बारह ज्योतिर्लिंग के अभिषेक एवं शांति का विधान बताया गया है।
 
2. बद्रीनाथ धाम : चार धामों में एक बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। कहते हैं कि यहां पर भी कालसर्प दोष के साथ-साथ पितृदोष की भी पूजा कराई जाती है। बद्रीनाथ धाम में ब्रह्मकपाली स्थान पर यह पूजा होती है।
 
3. त्रिजुगी नारायण मंदिर : केदारनाथ धाम से करीब 15 किलोमीटर दूर त्रिजुगी नारायण मंदिर है। कहते हैं कि यहां पर चांदी, तांबे या सोने के नाग-नागिन (दो बच्चों सहित) अर्पित करने और यहां आंगन में जल रही ज्वाला में चंदन, गुलरिया, पीपल की लकड़ी अर्पित करने और विधिवत पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
 
5. प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी के संगम तट पर काल सर्प दोष और पितृदोष की पूजा को उत्तम माना गया है। यहां पूजन के अलावा दर्शन मात्र से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
 
5. त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर : यह दक्षिण भारत में तंजौर जिले में स्थित त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर के पास भी काल सर्पदोष से मुक्ति हेतु पूजा की जाती है।
 
6. उज्जैन सिद्धवट : यह भी माना जाता है कि उज्जैन की क्षिप्रा नदी के तट पर सिद्धवट नामक स्थान पर पितृदोष के साथ ही काल सर्पदोष से मुक्ति की पूजा भी होती है।

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