सोमवार, 20 फरवरी 2023 को सुबह 1.14 मिनट पर शुरू हुआ पंचक काल इन दिनों जारी है। तथा इस पंचक का समापन 24 फरवरी, शुक्रवार को सुबह 3.44 मिनट पर होगा। बता दें कि सोमवार के दिन से पंचक शुरू होने के कारण इसे राज पंचक के नाम से जाना जाता है। लेकिन सोमवार से प्रारंभ होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है, अत: मान्यतानुसार इसके प्रभाव से खासकर सरकारी कार्यों तथा संपत्ति से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पंचक काल के पांच दिनों को अशुभ समय माना जाता है और इस समयावधि में कोई भी शुभ कार्य करने से सफलता प्राप्त नहीं होती है। अत: इन दिनों में थोड़ा रुक कर ही शुभ कार्य करने पर विचार करना उचित रहता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है।
इस तरह चंद्र ग्रह का कुंभ और मीन राशि में भ्रमण पंचक को जन्म देता है, अर्थात् पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है।
जानते हैं क्या होता है नक्षत्र और पंचक का प्रभाव-
* पंचक के प्रभाव से घनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
* शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
* पूर्वा भाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है।
* उत्तरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
* रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
आइए जानते हैं पंचक के दौरान क्या-क्या रखें सावधानियां-
जानिए सावधानियां- न करें ये कार्य :
1. लकड़ी एकत्र करना या खरीदना।
2. घर की छत डलवाना।
3. शव दहन।
4. पलंग या चारपाई बनवाना।
5. दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
6. कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य।
7. पंचक के दौरान नवविवाहित दुल्हन को विदा करना आदि कार्य नहीं किए जानें चाहिए।