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गुरु 10 अप्रैल से वक्री और 23 अप्रैल से होंगे वृश्चिक में, जानिए क्या-क्या होगा आपके जीवन में

गुरु 10 अप्रैल से वक्री और 23 अप्रैल से होंगे वृश्चिक में, जानिए क्या-क्या होगा आपके जीवन में
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पं. हेमन्त रिछारिया

गोचर अनुसार ग्रहों की दो गतियां बताई गई हैं- मार्गी व वक्री। राहु-केतु को छोड़कर शेष सभी ग्रह मार्गी व वक्री दोनों गतियों से गोचर करते हैं। मार्गी गति से आशय है जब घड़ी से विपरीत दिशा (Anti Clockwise) में गति करता है एवं वक्री गति से आशय जब ग्रह घड़ी की दिशा (Clockwise) में गति करता है। राहु-केतु सदैव वक्री गति करते हैं। ज्योतिष में ग्रहों के मार्गी व वक्री होने का बड़ा महत्व होता है।
 
ज्योतिष शास्त्रानुसार जब कोई ग्रह नीचराशिस्थ होकर वक्री हो तो वह अपने उच्च होने का फलित करता है। इसी प्रकार जब कोई ग्रह उच्चराशिस्थ होकर वक्री हो तब वह अपने नीच होने का फलित करता है। इसी क्रम में गोचर अनुसार देवगुरु बृहस्पति 10 अप्रैल 2019, चैत्र शुक्ल पंचमी से वक्र गति से संचरण करेंगे।
 
23 अप्रैल से गुरु करेंगे वृश्चिक राशि में प्रवेश :-
 
वक्रगति से संचरण करते हुए गुरु 23 अप्रैल 2019, वैशाख कृष्ण चतुर्थी से वृश्चिक राशि में पुन: प्रवेश करेंगे, विदित हो कि गुरु ने पिछले माह 20 मार्च 2019 को धनु राशि में प्रवेश किया था। गुरु वृश्चिक राशि में 4 नवंबर 2019, कार्तिक शुक्ल अष्टमी तक रहेंगे तत्पश्चात् पुन: मार्गी होकर अपनी स्वराशि धनु में प्रवेश करेंगे।
 
क्या होगा वक्री गुरु का असर:-
 
नवग्रहों के गोचर में देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन अर्थात् गोचर बहुत महत्व रखता है। गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी होते हैं। कर्क राशि में गुरु उच्च के एवं मकर राशि में गुरु नीचराशिस्थ होते हैं। स्त्री जातकों की जन्मपत्रिका में गुरु की स्थिति अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।

गुरु स्त्री जातकों के लिए पति का नैसर्गिक कारक होते हैं। स्त्री जातकों को पति सुख प्राप्त होने में गुरु की विशेष भूमिका होती है। यदि किसी स्त्री जातक की कुंडली में गुरु अस्त, वक्री, निर्बल या अशुभ भावों में स्थित होते हैं तो उसे पति सुख प्राप्त होने में बाधाएं आती हैं। गुरु के वक्री होने से स्त्री जातकों के विवाह पर मुख्य प्रभाव पड़ेगा।
 
किन राशि वाले जातकों के विवाह में बाधक बनेंगे गुरु:-
 
जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु 'अपूज्य' स्थान अर्थात् 4, 8, 12 में गोचर करेंगे उन स्त्री जातकों का विवाह 1 वर्ष के लिए वर्जित रहेगा। वहीं जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु 'पूज्य' स्थान अर्थात् 1, 3, 6, 10 में गोचर करेंगे उनका विवाह गुरु शांति अनुष्ठान (पीली पूजा) संपन्न करने के उपरांत हो सकेगा।

शेष राशि वाले स्त्री जातकों के लिए गुरु शुभ रहेंगे। आइए अब जानते हैं कि 23 अप्रैल 2019 से वक्रगतिमान गुरु के पुन: वृश्चिक राशि में प्रवेश करने से किन राशि की स्त्री जातकों का विवाह वर्जित रहेगा।
 
1. अपूज्य- मेष, सिंह, धनु (विवाह वर्जित)  
2. पूज्य- मिथुन, कन्या, वृश्चिक, कुंभ (गुरु की शांति के उपरांत विवाह)
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 

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