रंगों का त्योहार फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलिका दहन के समय भद्रा नहीं होना चाहिए। होलिका दहन दिन में कभी नहीं करना चाहिए। यदि प्रतिपदा कम होती जा रही है, तो भद्रा का मुख छोड़कर भद्रा में भी होलिका दहन किया जा सकता है।
इस वर्ष होलिका पर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में दिन गुरुवार 01 मार्च 2018 को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि प्रातः 08 बजकर 58 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन यानि 02 मार्च को सूर्योदय से पूर्व 06 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
इस दिन सूर्योदय लगभग 06 बजकर 31 मिनट पर होगा। अतः पूर्णिमा में सूर्योदय के अभाव के कारण पूर्णिमा तिथि की हानि है। अतः इस दिन भद्रा सुबह 08 बजकर 58 मिनट से सांय 7: 37 मिनट तक रहेगी। इस कारण भद्रा के बाद सांय 07: 45 मिनट से रात्रि 09 बजे के मध्य कन्या लग्न में होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। 02 मार्च 2018 को शुक्रवार चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के दिन होलिका उत्सव काशी एवं अन्यत्र समस्त भारत में मनाया जाएगा।
होलिका दहन की प्रामाणिक पूजन विधि, शुभ मुहूर्त में इन मंत्रों से करें पूजा...
देशकाल एंव नाम-गोत्र उच्चारण पूर्वक ''मम सकुटुम्बस्य ढुण्ढा राक्षसीप्रीत्यर्थे तत्पीड़ापरिहारार्थम् होलिका पूजनं च अहं करिष्ये।'' इस मंत्र से संकल्प करें तत्पश्चात ध्यान मंत्र से ध्यान करें-'असृक्याभयसंत्रस्त्रैः कृत्वा त्वं होलिवालिशैः। तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभव।।'
तत्पश्चात 'होलिकायै नमः' मंत्र से यथाविधि पूजन करें। दीप मंत्र- 'दीपयाम्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे। हिताय सर्व जगताय पीतये पार्वतीपतेः।।'
इत्यादि मंत्रों से पूजन कर - 'अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।' से जल अपित करें फिर प्रज्जवलित होलिका की 3 बार परिक्रमा करें। फिर दूसरे दिन होलिकाभस्म धारण मंत्र- 'वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव।।' इस मंत्र को पढ़कर भस्म को मस्तक, सीने व नाभि में लगाएं तथा घर के हर कोने में थोड़ी से छिड़क दें। ऐसा करने से घर में शु़द्ध वातावरण रहेगा एवं सुख-समृद्धि बनी रहेगी।