* बृहस्पति के राशि तुला में प्रवेश का राशियों पर क्या होगा प्रभाव, जानिए...
12 सितंबर 2017 को बृहस्पति ग्रह तुला राशि में प्रवेश हुआ है।
चन्द्र लग्न से गोचर फल : शुभ
गोचर स्थान : 2, 5, 7, 9, 11
मेष राशि :
मेष के स्वामी ग्रह मंगल हैं, जो कि गुरु ग्रह के मित्र हैं, जो जातकों को मिश्रित फल देंगे। मेष राशि में गुरु सातवें भाव में गोचर करेंगे, परिणामस्वरूप व्यापार करने वालों को लाभ होगा। गोचर के बदलाव से लाभदायक साझेदारी, विवाह संबंधों में देरी हो सकती है। गुरु के कारक क्षेत्र शिक्षा, उच्च शिक्षा, यात्रा, पदोन्नति, प्रकाशन में लाभ के योग हैं।
वृषभ राशि :
वृषभ के स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो कि गुरु ग्रह के शत्रु ग्रह हैं। इस गोचर के दौरान इस राशि के जातकों को सावधान रहने की जरूरत है। गुरु वृषभ राशि के छठे भाव में गोचर करेंगे जिसके कारण आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। पेशेवर लोगों को किसी दक्षता में उच्च कौशल विकसित हो सकते हैं जिससे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। किंतु यह गोचर स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं इसलिए सेहत का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :
गुरु मिथुन राशि के पांचवें भाव में गोचर करेंगे, मिथुन के स्वामी ग्रह बुध हैं जिसकी गुरु से शत्रुता से जातकों को हानि के योग हैं। जातकों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अथवा रुचि के कार्यों के लिए भरपूर अवसर मिलेगा। यह परिवर्तन जीवन में नए अवसर लाएगा।
कर्क राशि :
गुरु ग्रह से चन्द्रमा की मित्रता और राशि में गुरु का उच्च स्थान दोनों ही इस राशि के जातकों के लिए लाभ के योग बना रहे हैं। जिन जातकों की कुंडली में गुरु मजबूत होंगे, उन्हें कई गुना अधिक लाभ होगा। मानसिक स्थिति अच्छी रहेगी। आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलेगा। कई इच्छाओं की पूर्ति होगी।
सिंह राशि :
सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य, जो कि ग्रुह ग्रह का मित्र है, निश्चित सफलता दिलाएगा। व्यापार में सफलता प्राप्त होने वाली है। ज्ञान तथा कौशल को बढ़ाने से लाभ होगा। उत्साह तथा सकारात्मकता में वृद्धि होगी। आत्मविश्वास से निर्णय लें, सफलता निश्चित है। गोचर सिंह राशि के जातकों के लिए शुभ होने वाला है।
कन्या राशि :
गुरु ग्रह का कन्या राशि के दूसरे भाव में गोचर होगा, जो लाभदायी होगा। आर्थिक रूप से सफलता प्राप्त होगी। अटका धन वापस आएगा। आय में वृद्धि मिलेगी। किंतु इस राशि का स्वामी ग्रह बुध है जिसकी गुरु ग्रह से शत्रुता इस राशि के जातकों के लिए कष्ट पैदा कर सकती है। सावधान रहने की जरूरत है।
तुला राशि :
तुला राशि के लग्न भाव में ही गुरु का गोचर आना काफी प्रभावशाली होगा। इस राशि के जातकों को इस गोचर के दौरान सबसे अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके दो कारण हैं- पहला तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र, गुरु का प्रबलतम शत्रु है और शुक्र हमेशा ही गुरु पर हावी रहा है जिसके कारण संभव है कि गोचर के दौरान शुभ घटना भी अशुभ में बदल सकती है। तुला राशि के किसी जातक की दशा या अंतरदशा चल रही है तो सावधान रहना होगा, यह स्वास्थ्य और धन दोनों पर ही बुरा प्रभाव लाएगा।
वृश्चिक राशि :
वृश्चिक का स्वामी ग्रह मंगल (गुरु ग्रह का मित्र) इस गोचर के दौरान इस राशि के जातकों को लाभ दिलाएगा। जातक अधिक दयालु, समझदार तथा संवेदनशील हो सकते हैं। इस दौरान भाग्य साथ देगा।
धनु राशि :
यह गुरु ग्रह की अपनी राशि है जिसका लाभ इस राशि के जातकों को देखने को मिल सकता है। नए संपर्क बनेंगे, जो लाभदायक होंगे। कार्य में अच्छी उन्नति के संकेत हैं। अपने भविष्य को लेकर अधिक आत्मविश्वासी होंगे। जातकों की महत्वाकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं। इस गोचर का और भी अधिक लाभ पाने के लिए गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के उपाय करें।
मकर राशि :
गुरु ग्रह के गोचर के बाद मकर राशि के जातकों को सावधान रहना होगा। राशि का स्वामी ग्रह शनि है, जो कि गुरु का सम ग्रह है। गुरु के राशि परिवर्तन की इस अवधि में नौकरी में प्रमोशन, नर्इ नौकरी के अवसर, महत्वपूर्ण इनाम या शादी की संभावना है। गुरु ग्रह का मकर राशि में नीच का स्थान होता है, जो कि नुकसानदेह साबित हो सकता है।
कुंभ राशि :
शनि की राशि कुंभ के लिए गुरु ग्रह का यह गोचर मिला-जुला रहेगा। नौवें भाव में गुरु का आना यात्रा, पढ़ार्इ, विदेशगमन के नए अवसर दिला सकता है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु और शनि दोनों का स्थान मजबूत होगा, उन्हें इस गोचर के दौरान कई सारे लाभ प्राप्त होंगे।
मीन राशि :
मीन राशि का स्वामी ग्रह स्वयं गुरु ही है, तो संभव है कि जीवन में अधिक बदलाव न आएं लेकिन सावधानी बनाए रखें। गोचर आपकी राशि के आठवें भाव में हो रहा है जिसके कारण आर्थिक मामलों में लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गोचर का अधिक लाभ उठाने के लिए गुरु ग्रह को मजबूत करने के उपाय कर सकते हैं।