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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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6 जून को गुरु-पुष्य योग, जानिए अत्यधिक पवित्र एवं शुभ योग का विशेष महत्व

6 जून को गुरु-पुष्य योग, जानिए अत्यधिक पवित्र एवं शुभ योग का विशेष महत्व
ज्योतिष शास्त्र में पंचांग के अंतर्गत नक्षत्र द्वितीय स्थान पर है। नक्षत्र चंद्रमा की स्थिति को इंगित करते हैं जो मन व धन के अधिष्ठाता हैं। 
 
हर नक्षत्र में इनकी उपस्थिति विभिन्न प्रकार के कार्यों की प्रकृति व क्षेत्र को निर्धारण करती है। इनके अनुसार किए गए कार्यों में सफलता की मात्रा अधिकतम होने के कारण उन्हें मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही एक विशेष संयोग 6 जून 2019, गुरुवार को आ रहा है। इस दिन गुरु-पुष्य नक्षत्र का खास संयोग बना रहा है। 
 
मुहूर्त का ज्योतिष शास्त्र में स्थान एवं जनसामान्य में इसकी महत्ता विशिष्ट है। पुष्य नक्षत्र को शुभतम माना गया है। जब यह नक्षत्र सोमवार, गुरुवार या रविवार को आता है, तो एक विशेष वार नक्षत्र योग निर्मित होता है। जिसका संधिकाल में सभी प्रकार का शुभ फल सुनिश्चित हो जाता है। 
 
गुरुवार को इस नक्षत्र के आने से गुरु पुष्य नामक योग का सृजन होता है। यह क्षण वर्ष में कभी-कभी आता है। इसलिए इसमें किए गए पुण्य कार्य अथवा आर्थिक कार्य स्थायी रहते हैं। इसलिए शुभ कार्यों को इस अवधि में प्रारंभ करना श्रेष्ठतम बताया है। 
 
व्यापार का मूल आधार हिसाब-किताब जो बही, डायरी, सीडी, फ्लापी, कॉपी, रजिस्टर, कम्प्यूटर में रखा जाता है को इस दिन क्रय करने से वर्षपर्यंत व्यापार में प्रगति व विवादहीनता की स्थिति बनती है। 
 
इसके अतिरिक्त कोई भी जातक इस दिन अपने कल्याण हेतु व गुरु की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए धर्मस्थलों में या गरीबों को विविध प्रकार की खाद्य सामग्री, वस्त्रादि भेंट कर सकते हैं। 
 
कोई धार्मिक अनुष्ठान जैसे भगवान विष्णु व उनके अवतारों की पूजा-पाठ हवनादि कर ब्राह्मणों को प्रसन्न कर अपने सौभाग्य में वृद्धि सकते हैं। दुर्भाग्य व दरिद्रता का नाश करने वाला, मनोवांछित फल देने वाला तथा धार्मिक कार्यों को संपन्न करने वाला, यह गुरु-पुष्य योग अत्यधिक पवित्र एवं शुभ है।


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