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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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हलषष्ठी 2021: बलराम कौन थे, कैसे करें उनका पूजन, जानिए मुहूर्त

हलषष्ठी 2021: बलराम कौन थे, कैसे करें उनका पूजन, जानिए मुहूर्त
balaram jayanti
 
इस वर्ष शनिवार, 28 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन को हलषष्ठी के रूप में मनाया जाता है। बलराम जयंती का पर्व रक्षाबंधन के ठीक 6 दिन बाद जाता है। इस दिन पुत्रवती महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करने के लिए यह व्रत रखती हैं।

इस व्रत में हल से जुते हुए अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत में वही चीजें खाने की मान्यता है जो तालाब में पैदा होती हैं। मान्‍यता है कि हलधर यानी बलराम सभी बच्‍चों को दीर्घायु प्रदान करते हैं। देश के कई राज्यों में बलराम जयंती को हलछठ, हरछठ, चंदन छठ, ललही छठ, तिन्नी छठ, बलदेव छठ के नाम से यह पर्व एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। 
 
जानिए बलराम कौन थे- 
भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई को बलदाऊ, हलधर और बलराम के नाम से भी जाना जाता है। कई धर्मग्रंथों में इस बात का भी वर्णन है कि बलराम शेषनाग के अवतार थे। मान्यता के अनुसार जब-जब धरती पर धर्म की स्थापना के लिए श्री नारायण ने अवतार लिया है, तब-तब शेषनाग ने भी उनका साथ देने के लिए किसी न किसी रूप में जन्म लिया था। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार द्वापर युग में विष्णु के अवतार, श्रीकृष्ण के बड़े भाई और त्रेता युग में भगवान प्रभु श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में बलराम का जन्म हुआ। 
 
बलराम जन्म कथा के अनुसार श्री विष्णु जी की आज्ञा से शेषनाग ने देवकी के गर्भ में सातवें पुत्र के रूप में प्रवेश किया था। कंस इस गर्भ के बालक को जन्म लेते ही मार देना चाहता था। तब नारायण श्रीहरि विष्णु ने योगमाया से कहकर माता देवकी के गर्भ को ले जाकर रोहिणी के गर्भ में रखवा दिया था। गर्भ से खींचे जाने के कारण ही बलराम जी का एक अन्य नाम संकर्षण भी पड़ा।
 
कैसे करें पूजन- 
 
भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलछठ या बलराम जयंती के शुभ दिन धरती को धारण करने वाले शेषनाग जी ने भगवान बलराम के रूप में अवतार लिया था। आज के दिन बलराम जी की विशेष पूजा की जाती है। बलराम जयंती या हरछठ के दिन भुना हुआ चना, घी में भुना हुआ महुआ, अक्षत, लाल चंदन, मिट्टी का दीया, भैंस के दूध से बना दही, घी, महुआ का पत्ता, तिन्नी का चावल तालाब में उगा हुआ, हल्दी, नया वस्त्र, सात प्रकार के अनाज, धान का लाजा, जनेऊ और कुश इन सारी सामग्रियों को एकत्र करके पूजन किया जाता है। इन सभी सामग्रियों को 6-6 की संख्या में लेकर पूजन करना चाहिए।

 
इस दिन संतान की खुशहाली और दीर्घायु के लिए व्रत रखा जाता हैं। व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाया जाता है।  उसके बाद भगवान श्री गणेश और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें पलाश, झरबेरी और कांसी के पेड़ लगाती हैं और वहां बैठकर पूजन करके हलषष्ठी व्रत की कथा सुनती हैं। इस दिन नवविवाहित सुहागिनें सुयोग्य संतान पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन नहीं किया जाता है।
 
पूजन के शुभ मुहूर्त- 
 
इस वर्ष भाद्रपद षष्‍ठी तिथि का आरंभ दिन शुक्रवार, 27 अगस्‍त 2021 को शाम 6.50 मिनट से होगा और शनिवार, 28 अगस्त को रात्रि 8.55 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। हमारे शास्त्रों में किसी खास अवसर पर पूजन के लिए उदया तिथि मान्‍य होने के कारण हलषष्‍ठी व्रत या बलराम जयंती पर्व 28 अगस्‍त को ही रखा जाएगा। 

-RK.

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