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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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24 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी : जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

24 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी : जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी 24 सितंबर 2021, शुक्रवार को मनाई जा रही है। इस चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी और संकटा चतुर्थी भी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि के स्वामी श्री गणेश जी हैं। एक मास में दो बार चतुर्थी तिथि आती है, जिसमें विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा की जाती है। श्री गणेश शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी संकट मिट जाते हैं और जीवन में धन, सुख-समृद्धि आती है। इसके बाद व्रतधारी पारण करके व्रत को पूर्ण करते है। 
 
मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रतधारी श्री गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करके उनका दर्शन करते हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत को पूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ से यश, धन-वैभव, सुख-समृद्धि, कीर्ति, ज्ञान और बुद्धि में अतुलनीय वृद्धि होती है। चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा दोपहर में होती है, ऐसे में आप राहुकाल का ध्यान रखकर श्री गणेश का पूजन करें।
 
आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त- 
 
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 24 सितंबर, शुक्रवार को प्रात: 08.29 मिनट पर होगा और 25 सितंबर, शनिवार को सुबह 10.36 मिनट इसका समापन होगा।  
 
इस बार संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। 24 सितंबर को प्रात: 06.10 मिनट से सुबह 08.54 मिनट तक सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। इस दिन अभिजित और विजय मुहूर्त के संयोग भी बन रहे हैं। 24 सितंबर को दिन में 11.49 मिनट से दोपहर 12.37 मिनट तक अभिजित मुहूर्त रहेगा और दोपहर 02.14 मिनट से दोपहर 03.02 मिनट तक विजय मुहूर्त बन रहा है, अत: इन मुहूर्त में आप श्री गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
 
चंद्र दर्शन- 24 सितंबर को चंद्रोदय का समय रात 08.20 मिनट रहेगा, इस समय पर आप चंद्रमा का दर्शन कर सकते हैं।
 
राहुकाल का समय- 10.42 मिनट से दोपहर 12.13 मिनट तक रहेगा। 
 
चतुर्थी पूजा विधि- 
 
संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने वाले लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
 
इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है। अत: संभव हो तो लाल रंग के कपड़े पहनें। 
 
इसके बाद पूजन के लिए गुड़, लड्डू, तांबे के लोटे में पानी, तिल, धूप, चंदन,‍ प्रसाद के लिए मिठाई या लड्डू अथवा मोदक, केला और नारियल यह सामग्री एकत्रित कर लें। 
 
अब पूजन के लिए अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखकर बैठ जाएं। 
 
एक पटिए पर सफेद और लाल रंग का कपड़ा बिछाकर श्री गणेश की प्रतिमा या मूर्ति विराजित करें। अब श्री गणेश को फूलों की माला से सजाएं।
 
श्री गणेश को रोली लगाकर फूल व जल अर्पित करें, गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।
 
इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं। श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'
 
* सायंकाल में व्रतधारी चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।
 
* चतुर्थी के दिन व्रत-उपवास रख कर चंद्र दर्शन करके गणेश पूजन करें।
 
* तत्पश्चात श्री गणेश जी की आरती करें।
 
* पूजन के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' या 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला यानी 108 बार गणेश मंत्र का जाप अवश्य करें।
 
* इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें।
 
इस दिन सिर्फ फलाहार करें। यह व्रत रात को चंद्रम को देखकर खोला जाता है।
 
संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत घर से नकारात्मक प्रभाव दूर करने वाला और सारी विपदाओं को दूर करने वाला माना गया है। 

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