पंचक क्या है?
ज्योतिष शास्त्र में धनिष्ठा से रेवती तक जो 5 नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ विशेष कार्य नहीं किए जाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार पंचक का समय अशुभ समय माना जाता है। पंचक के अंतर्गत आने वाले इन्हीं पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक काल' कहा जाता है।
कब से शुरू हो रहा है पंचक :-
पंचक इस बार शुक्रवार, 17 अप्रैल को दिन में 12:18 मिनट से प्रारंभ हो गया है, जो बुधवार, 22 अप्रैल 2020 दोपहर 1:18 जारी तक रहेगा। अत: इस समयावधि में अधिक सतर्क रहना चाहिए।
चोर पंचक :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे 'चोर पंचक' कहा जाता है, के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान धन हानि होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं। अत: सावधानी बरतते हुए कोई भी लेन-देन का कार्य करना चाहिए।
पंचक से क्यों है डर : -
पंचक काल के 5 नक्षत्रों का जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। जहां धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है, वहीं शतभिषा नक्षत्र में कलह के योग बनते हैं। पूर्वा भाद्रपद को रोग कारक नक्षत्र माना गया है और उत्तरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है। साथ ही रेवती नक्षत्र आने से धन हानि की संभावना भी होती है।
इसीलिए जहां पंचक में हर तरह से सावधानी बरतने की आवश्यकता है, वहीं नक्षत्र के अशुभ प्रभावों से डर लगना स्वाभाविक है। अत: इन समयावधि में घास, लकड़ी, ईंधन आदि एकत्रित न करने की सलाह दी जाती है।
इतना ही नहीं इस समय काल में दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए तथा इन दिनों घर की छत बनाने से बचना चाहिए और किसी की मृत्यु होने पर कुश की घास या आटे के 5 पुतले जलाने के बाद ही विधि-विधान से दाह संस्कार करना उचित माना गया है।