Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

हिन्दू धर्म के 10 बड़े सवालों के 10 जवाब जो आप नहीं जानते हैं

Webdunia
अक्सर हिन्दू धर्म से जुड़े कुछ सवालों को बार-बार पूछा जाता है लेकिन उनके संतोषप्रद उत्तर नहीं मिलते हैं। हम लाए हैं पुराणों से कुछ सटीक जवाब...      
1. सर्वप्रथम गणेश पूजन क्यों?
 
गणेशजी को विघ्नहर्ता और रिद्धि-सिद्धि का स्वामी माना गया है। इनके स्मरण, ध्यान, जप और पूजन से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। ये बुद्धि के अधिष्ठाता, साक्षात प्रणव स्वरूप और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। यही कारण है कि शुभ कार्यों में सर्वप्रथम गणेशजी का पूजन किया जाता है। इसी आधार पर भारतीय समाज में एक उक्ति भी प्रचलित हो गई। जब किसी कार्य को आरंभ किया जाता है तो प्राय: कहा जाता है कि 'कार्य का श्रीगणेश हो गया।' किसी भी शुभ कार्य को शुरू करते समय 'श्री गणेशाय नम:' का उच्चारण करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है-
 
क्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।
2. आचमन तीन बार ही क्यों?
 
वेदों के मुताबिक धार्मिक कार्यों में तीन बार आचमन करने को प्रधानता दी गई है। कहते हैं कि तीन बार आचमन करने से शारीरिक, मानसिक और वाचिक तीनों प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और अनुपम अदृश्य फल की प्राप्ति होती है। इसी कारण प्रत्येक धार्मिक कार्य में तीन बार आचमन करना चाहिए।
3. श्रीयंत्र की पूजा क्यों करते हैं?
 
वेदों के अनुसार श्रीयंत्र में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। ‍कलियुग में श्रीयंत्र को कामधेनु के समान माना गया है। इसके मंत्र सिद्ध होने पर सभी प्रकार की श्री अर्थात चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। इस यंत्र में वास्तुदोष निवारण की अद्भुत क्षमता है। इसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास का भी प्रदर्शन है।
4. करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों?
 
चंद्रमा मन के देवता हैं। इसी कारण यह मन की हर स्थिति चंचलता, स्थि‍रता और प्रसन्नता आदि को नियंत्रित करते हैं। मस्तक पर दोनों भौंहों के मध्य स्थान को चंद्रमा का भाग कहा जाता है। यहां पर चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए चंदन, रोली आदि का टीका लगाया जाता है और महिलाएं बिंदी लगाती हैं।
 
करवा चौथ को चंद्रमा की प्रसन्नता के लिए दिन में उपवास रखा जाता है और फिर रात्रि में चंद्रमा उदय हो जाता है, तब अर्घ्य देकर विधिवत उसका पूजन किया जाता है।
 
इसके बाद सौभाग्यशाली महिलाएं अन्न-जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ के इस व्रत को मानने के पीछे धन-मान, सौभाग्य और पति की हर संकट से रक्षा मुख्य कारण बताए जाते हैं।
5. मांग में सिंदूर क्यों सजाती हैं विवाहिता?
 
मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक माना जाता है। यह जहां मंगलदायम माना जाता है, वहीं इससे इनके रूप-सौंदर्य में भी निखार आ जाता है। मांग में सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है।
 
शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियां मांग में जिस स्थान पर सिंदूर सजाती हैं, वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर है। स्त्रियों का यह मर्मस्थल अत्यंत कोमल होता है।
 
इसकी सुरक्षा के निमित्त स्त्रियां यहां पर सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर में कुछ धातु अधिक मात्रा में होता है। इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं और स्त्री के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है।
6. पूजा में तुलसी का महत्व क्यों?
 
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि सहस्रों घड़े अमृत से स्नान करने पर भगवान विष्णु को उतनी तृप्ति नहीं मिलती, जितनी वे तुलसी का एक पत्ता चढ़ाने से प्राप्त कर लेते हैं। प्रतिदिन तुलसी चढ़ाकर विष्णुजी की पूजा करने वालों को एक लाख अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
7 . संकल्प की जरूरत क्यों?
 
धार्मिक कार्यों को श्रद्धा-भक्ति, विश्वास और तन्मयता के साथ पूर्ण करने वाली धारण शक्ति का नाम ही संकल्प है। दान एवं यज्ञ आदि सद्कर्मों का पुण्य फल तभी प्राप्त होता है, जबकि उन्हें संकल्प के साथ पूरा किया गया हो। कामना का मूल ही संकल्प है और यज्ञ संकल्प से ही पूर्ण होते हैं।
8. धार्मिक कार्यों में शंखनाद क्यों?
 
अथर्ववेद के मुताबिक शंख अंतरिक्ष, वायु, ज्योतिर्मंडल और सुवर्ण से संयुक्त होता है। शंखनाद से शत्रुओं का मनोबल निर्बल होता है। पूजा-अर्चना के समय जो शंखनाद करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान श्रीहरि के साथ आनंदपूर्वक रहता है। इसी कारण सभी धार्मिक कार्यों में शंखनाद जरूरी है।
9. चरण स्पर्श की परंपरा क्यों?
 
चरण स्पर्श की क्रिया में अंग संचालन की शारीरिक क्रियाएं व्यक्ति के मन में उत्साह, उमंग, चैतन्यता का संचार करती हैं। यह अपने आप में एक लघु व्यायाम और यौगिक क्रिया भी है, जिससे मन का तनाव, आलस्य और मनो-मालिन्यता से मुक्ति भी मिलती है।
10. वृक्ष पूजन की महत्ता क्यों?
 
भारतीय धर्म संस्कृति में वृक्षों को अत्यंत पवित्र और देवता स्वरूप माना गया है। मनु स्मृति के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम मानी जाती है। वृक्षों को जीवित और सुख-दुख का अनुभव करने वाला माना गया है।
 
परमात्मा ने वृक्ष का सृजन संसार का कल्याण करने के लिए ही किया है ताकि वह परोपकार के कार्यों में ही जुटा रहे। वृक्ष भीषण गर्मी में तपते हुए भी अन्य प्राणियों को अपनी शीतल छाया प्रदान करते हैं।
 
सद्पुरुष समान आचरण करते हुए वृक्ष अपना सर्वस्व दूसरों के कल्याण के लिए अर्पित कर देते हैं। वृक्षों की सघन छाया तले बैठकर ही अनेक ऋषि-मुनि और तपस्वियों ने सर्दी, गर्मी और बरसात से बचते हुए तपस्या की और सिद्धि को प्राप्त किया।

सम्बंधित जानकारी

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

दिवाली को लेकर कंफ्यूजन खत्म, जानिए सही तारीख और शुभ मुहूर्त के साथ

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: 27 अक्टूबर के दिन इन 4 राशियों को मिलेगा भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

बुध का वृश्‍चिक राशि में गोचर, 3 राशियों के लिए रहेगा कठिन समय

Diwali Weekly Horoscope 2024: दीपावली साप्ताहिक राशिफल, जानें इस सप्ताह में किन राशियों पर होगी माता लक्ष्मी की कृपा

આગળનો લેખ
Show comments