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चन्नी को 'सीएम फेस' घोषित करने का कांग्रेस का दांव कहीं उलटा न पड़ जाए?

चन्नी को 'सीएम फेस' घोषित करने का कांग्रेस का दांव कहीं उलटा न पड़ जाए?
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वृजेन्द्रसिंह झाला

, मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022 (14:15 IST)
पंजाब विधानसभा के लिए आगामी 20 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले राज्य में चुनाव प्रचार का जोर तो है, लेकिन 'मतदाता का मूड' क्या है, इसको लेकर राजनीतिक दल भी असमंजस की स्थिति में हैं। हालांकि सत्तारूढ़ दल कांग्रेस फिर से राज्य की सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है और पार्टी हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अरमानों पर पानी फेरते हुए अपने दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को ही एक बार फिर मुख्‍यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर ‍दिया है। 
 
चन्नी को सीएम फेस बनाने का कांग्रेस का यह फैसला कितना सही साबित होगा यह तो 10 मार्च को मतगणना के बाद पता चलेगा, लेकिन जानकारों की मानें तो चन्नी को फ्रंट में लाकर कांग्रेस ने अपनी मुसीबत बढ़ा ली है। कांग्रेस को यह दांव उलटा भी पड़ सकता है। क्योंकि कांग्रेस के इस फैसले के बाद सिद्धू और उनके समर्थक नाराज हो गए हैं। यह नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। 
 
वरिष्ठ पत्रकार किरणजीत रोमाना का मानना है कि नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम फेस नहीं बनाकर कांग्रेस ने गलती की है। इसका असर निश्चित ही आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा। दरअसल, सिद्धू की छवि ईमानदार नेता की है और वे जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं। यही कारण है कि पंजाब की जनता उन्हें पसंद भी करती है। रोमाना कहते हैं कि खेती, नशा और बेरोजगारी पंजाब के तीन प्रमुख मुद्दे हैं और सिद्धू इन्हें प्रमुखता से उठाते हैं। 
 
रोमाना कहते हैं कि किसानों को खेती के प्रोडक्शन और मार्केटिंग दोनों ही मामलों में समस्या रहती। पंजाब की गली-गली में नशा बिक रहा है और लोग बर्बाद हो रहे हैं। बेरोजगारी भी राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है और यहां का यूथ विदेश की ओर रुख कर रहा है। लोग यह भी समझते हैं कि रातोंरात बदलाव संभव नहीं है, लेकिन यहां की जनता चाहती है कि कोई उनके मुद्दों को उठाए तो सही। सिद्धू इस मामले में जनता की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।
 
पत्रकार रोमाना कहते हैं कि चरणजीत चन्नी, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, केजरीवाल समेत अन्य नेता जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जनता मानती है कि सिद्धू ईमानदार हैं और भ्रष्टाचार का कोई दाग भी उन पर नहीं है। इतना ही नहीं रेत माफिया, शराब माफिया भी सिद्धू को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
 
किसी समय हाईकमान को निशाने पर लेने वाले सिद्धू इन दिनों अपने नेचर के मुताबिक मुखर नहीं है। इन दिनों वे चन्नी पर प्रत्यक्ष और परोक्ष हमले भी नहीं कर रहे हैं। लेकिन, अब उनकी पत्नी और पूर्व विधायक नवजोत कौर तथा उनकी बेटी राबिया सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हाल ही में राबिया ने सिद्धू को सीएम उम्मीदवार नहीं बनाने के मुद्दे पर कहा कि हाईकमान की कुछ मजबूरियां रही होंगी। उन्होंने कहा कि किसी भी ईमानदार बंदे को ज्यादा देर तक नहीं रोका जा सकता और बेईमान बंदे को रुकना ही पड़ता है। राबिया से पहले सिद्धू की पत्नी ने भी कहा था कि चन्नी गरीब नहीं है, वे तो हमसे भी ज्यादा अमीर हैं। 
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पंजाब में किसान और कृषि एक बड़ा मुद्दा है। किसान आंदोलन के दौरान भी सबसे ज्यादा किसान पंजाब के ही नजर आए थे। पंजाब की राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला मालवा इलाका भी किसान बहुल है। रोमाना कहते हैं कि पंजाब में किसान और कृषि सबसे बड़ा मुद्दा है। मालवा क्षेत्र पंजाब की कृषि की रीढ़ है। सबसे ज्यादा लैंडलॉर्ड इसी इलाके में हैं। यहां बड़ी संख्‍या में किसान हैं, लेकिन शिक्षा दर काफी कम है।
 
किरणजीत कहते हैं कि कॉटन पैदावार के समय यह इलाका सबसे धनी इलाका माना जाता था, लेकिन 20 साल पहले हुए अमेरिकी बॉलवर्म अटैक के बाद कॉटन की फसल तबाह हो गई। इसके बाद लोगों का रुख दूसरी फसलों की ओर हो गया। बची-खुची कसर 2 साल पहले हुए पिंक बॉलवर्म ने पूरी कर दी। इससे भी कपास की फसल खराब हो गई। इसके चलते इस इलाके में किसानों की ‍स्थिति काफी खराब है। सबसे ज्यादा सुसाइड किसान इसी इलाके में करते हैं। ऐसे में जो पार्टी को किसानों को अपने पक्ष में कर पाएगी उसे चुनाव में फायदा मिलेगा। 

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