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यूक्रेन: बर्बादी के साए में युद्ध के 1,000 दिन, ‘यह समय शान्ति का है’

UN
मंगलवार, 19 नवंबर 2024 (13:07 IST)
नवम्बर 2024 में यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों द्वारा आक्रमण किए जाने के एक हज़ार दिन पूरे हो रहे हैं। यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण को एक हज़ार दिन पूरे हो रहे हैं, मगर देश में लाखों नागरिक अब भी व्यापक पैमाने पर मौतों, विध्वंस और हताशा से जूझ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में राजनैतिक एवं शान्तिनिर्माण मामलों के लिए प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सोमवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए हिंसक टकराव का अन्त करने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति व एकजुट प्रयासों का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा कि रूसी महासंघ ने फ़रवरी 2022 में पूर्ण स्तर पर यूक्रेन पर यह आक्रमण, संयुक्त राष्ट्र चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का खुलेआम उल्लंघन करते हुए किया था।

एक हज़ार दिन बीत चुके हैं, यह युद्ध जारी है, बिना रुके: घातक लड़ाई पूर्वी व दक्षिणी यूक्रेन के ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सों को अपने लपेटे में ले रही है। व्यापक मौतों, तबाही और हताशा के 1,000 दिन, जोकि लाखों यूक्रेनी नागरिकों के लिए बदस्तूर जारी हैं।

अब तक, कम से कम 12 हज़ार 164 आम लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 600 से अधिक बच्चे हैं। 26 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं, लेकिन हताहतों का वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है। यूएन अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने बताया कि इस सप्ताहांत, रूस ने यूक्रेन के सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। 120 मिसाइलों व 90 ड्रोन के ज़रिये ऊर्जा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया, जिससे जान-माल का भीषण नुक़सान हुआ है। यूक्रेन में अति-महत्वपूर्ण नागरिक व ऊर्जा प्रतिष्ठानों को व्यवस्थागत ढंग से निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें तबाह किया जा रहा है, जोकि अनेक यूक्रेनी नागरिकों को बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित कर रहा है। क़रीब 580 मेडिकल केन्द्र क्षतिग्रस्त या बर्बाद हुए हैं और बड़ी संख्या में चिकित्साकर्मियों व अग्रिम मोर्चे पर डटे राहतकर्मियों के हताहत होने की ख़बरें हैं। कम से कम 1,358 शैक्षणिक केन्द्रों को नुक़सान पहुंचा है।

उन्होंने बीती रात मीडिया में ख़बरों के हवाले से कहा कि यूक्रेन के सहयोगी देशों ने रूस के भीतर लम्बी दूरी से मिसाइल हमलों के लिए हथियारों के इस्तेमाल को स्वीकृति दी है। इसके मद्देनज़र, रोज़मैरी डीकार्लो ने ज़ोर देकर कहा कि सभी पक्षों को आम नागरिकों की सुरक्षा, उनका बचाव सुनिश्चित करना होगा, भले ही वे कहीं भी हों।

विध्वंस के बीच सहायता प्रयास : अवर महासचिव ने चिन्ता जताई कि यूक्रेन युद्ध से पर्यावरण को गहरा नुक़सान पहुंचा है। कखोवा बांध के ध्वस्त होने से आई से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्रों व यूक्रेन में कृषि को क्षति हुई है। यूक्रेन अब उन देशों की सूची में हैं जहां बड़े पैमाने पर बारूरी सुरंग का इस्तेमाल किया गया है। एक अनुमान के अनुसार, देश के एक चौथाई हिस्से में बारूदी सुरंग बिछी होने की आशंका है, जोकि स्विट्ज़रलैंड के आकार का चार गुना क्षेत्र है।

देश में लाखों आम नागरिक जीवनरक्षक सहायता पर निर्भर हैं। 40 लाख से अधिक लोग यूक्रेन की सीमाओं के भीतर ही विस्थापन का शिकार हुए हैं, जबकि 68 लाख लोगों ने अन्य देशों में शरण ली है। यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन में पुनर्निर्माण व पुनर्बहाली प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां पूर्ण रूप से मुस्तैद हैं, और देश के ऊर्जा प्रतिष्ठानों को सहनसक्षम बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। फ़िलहाल, सर्दी के मौसम में युद्धग्रस्त इलाक़ों में फँसे लोगों तक ज़रूरी सहायता पहुंचाने की कोशिशें हो रही हैं, जिसके लिए पर्याप्त संसाधन की आवश्यकता है।

टकराव बढ़ने का जोखिम : रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की गम्भीर चिन्ताओं के बावजूद, परमाणु हादसे का जोखिम वास्तविक है। योरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा प्लांट व अन्य सम्वेदनशील स्थानों पर सैन्य गतिविधि होने की ख़बरें हैं। ऐसी किसी भी घटना के नतीजे विनाशकारी होंगे और इस आशंका से हम सभी को भयभीत होना चाहिए। सभी पक्षों के लिए यह अनिवार्य है कि परमाणु सुरक्षा व सलामती के लिए ज़िम्मेदारी के साथ क़दम उठाए जाएं।

अवर महासचिव ने कहा कि हाल ही में कोरिया लोकतांत्रिक जनगणराज्य (डीपीआरके) के हज़ारों सैनिकों को हिंसक टकराव से प्रभावित इलाक़ों में तैनात किए जाने और उनके लड़ाई में शामिल होने की ख़बरें हैं। यह आग को और भड़काने का काम करेगा, जिससे यह विस्फोटक और भड़केगा व इसका अन्तरराष्ट्रीयकरण होगा। शान्तिनिर्माण मामलों की शीर्ष अधिकारी ने सचेत किया कि योरोप में इस हिंसक टकराव के विश्वव्यापी नतीजे हो सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता कमज़ोर और भूराजनैतिक दरारें गहरी हो रही हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ख़तरनाक मार्ग से पीछे हटते हुए, एकजुट कूटनैतिक प्रयासों व राजनैतिक इच्छाशक्ति के साथ इसका अन्त किया जाना होगा।

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