Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कौन हैं माता शैलपुत्री, जानिए 10 बातें

Webdunia
आज 7 अक्टूबर 2021 गुरुवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो चुका है। नवरात्रि में प्रथम दिवस माता शैलपुत्री की पूजा और आराधना होती है। आओ जानते हैं कि माता शैली पुत्री कौन हैं।
 
 
1. माता सती ने अपने दूसरे जन्म में पार्वती के रूप में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था, इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री है। 
 
2. वृषभ स्थिता माता शैलपुत्री खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, भुशुंडि, कपाल तथा शंख को धारण करने वाली संपूर्ण आभूषणों से विभूषित नीलमणि के समान कांति युक्त, दस मुख व दस चरण वाली है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है।
 
 
3. नियमानुसार प्रतिपदा तिथि को नैवेद्य के रूप में गाय का घी मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घी ब्राह्मण को दे देना चाहिए।
 
4. माता के मंत्र : 
- शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:। 
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
- ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
 
5. ध्यान मंत्र :
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥
अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।
 
6. स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
 
7. देवी की कथा :
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। 
 
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
 
 
8. माता की आराधना करने से साधक को कुसंस्कारों, दुर्वासनाओं तथा असुरी वृत्तियों के साथ संग्राम कर उन्हें खत्म करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। ये देवी शक्ति, आधार एवं स्थिरता की प्रतीक है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त मंत्र का नित्य एक माला जाप करने पर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस देवी की उपासना जीवन में स्थिरता देती है।
 
9. नवरात्रि के प्रथम दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
 
10. इस दिन माता घटस्थापना, कलश पूजा और जवारे की स्थापना और पूजा होती है।

ALSO READ: श्री दुर्गा नवरात्रि कथा: पहले दिन की देवी हैं मां 'शैलपुत्री', पढ़ें पावन कथा

ALSO READ: Aarti Devi Shailputri : नवरात्रि के पहले दिन की आरती- शैलपुत्री मां बैल पर सवार

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

આગળનો લેખ
Show comments