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Ground Report : ऑस्ट्रेलिया में 30 साल में पहली बार मंदी, जरूरतमंदों को हर माह 3000 डॉलर

डॉ. रमेश रावत
सोमवार, 15 जून 2020 (12:15 IST)
जो ऑस्ट्रेलिया 2008 की मंदी के दौरान मजबूती से सीना तानकर खड़ा हुआ था, वही कोरोनावायरस (Coronavirus) के कालखंड में डगमगाता हुआ नजर आ रहा है। हालां‍कि पीएम स्कॉट मॉरिसन की कुशल रणनीति के चलते काफी हद तक ऑस्ट्रेलिया में कोरोना नियंत्रित रहा। इससे लॉकडाउन (Lockdown) का असर भी कम देखने को मिला। जिंदगी अपनी रफ्तार से चलती रही। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (Queensland University of Technology, Brisbane) में मास्टर्स ऑफ हैल्थ मैनेजमेंट कोर्स कर चुके दंत चिकित्सक नवीन कुमार ने वेबदुनिया से कोरोना काल में ऑस्ट्रेलिया की स्थिति पर सिलसिलेवार चर्चा की। 
 
लॉकडाउन असर कम : ऑस्ट्रेलिया में सार्वजनिक तौर पर आवागमन को प्रतिबंधित नहीं किया गया था। किराने का सामान खरीदने के लिए बाजार जाने की अनुमति थी। रेस्टोरेंट में खाने का ऑर्डर देने के साथ ही शैक्षणिक कार्यों के लिए यात्रा करने की आजादी भी लोगों को थी। आरंभ में यात्रा केवल दो लोग कर सकते थे। इसके बाद 10 एवं वर्तमान में 20 लोग यात्रा कर सकते हैं। 
 
लॉकडाउन से पहले पूरी की इंटर्नशिप : मैंने क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉली से मास्टर ऑफ हैल्थ मैनेजमेंट पूरा कर लिया है। लॉकडाउन के दौरान संस्थान की ओर से परिसर में शिक्षा के तरीके ऑनलाइन में बदल दिया। स्पष्ट रूप से इसने पाठ्य सामग्री को थोड़ा कम तो किया, लेकिन पूर्ण रूप से इसका प्रभाव नहीं पड़ा। मैंने लॉकडाउन लगाए जाने से एक महीने पहले ही अपनी क्वींसलैंड हैल्थ में इंटर्नशिप समाप्त कर ली थी। मुझे कार्यालय जाने और बहुत सारे कौशल सीखने का अवसर भी मिला। अब मुझे नौकरी की तलाश है।

सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही : वर्तमान में क्वींसलैंडर्स राज्य के भीतर किसी भी स्थान की यात्रा कर सकते हैं। अधिकतम 20 लोग समुद्र तटों, रेस्टोरेंट, पूजा स्थलों, जिम, समुद्र तटों, पब आदि में जा सकते हैं। यहां सभी कोविड 19 से बचने के लिए नियमों का पालन कर रहे हैं। व्यावसायिक स्थानों को बार-बार साफ किया जा रहा है। स्वास्थ्य खराब होने पर घर में ही रहने के निर्देश हैं। 
 
 
लॉकडाउन के दौरान यहां सड़कें सुनसान थीं। लोगों ने घर से ही काम करने को प्राथमिकता दी। इस दौरान यहां शराब की खपत बढ़ गई। लोग घर के कामों में भी अधिक समय देने लगे। यहां खेल मैदान एवं चाइल्डकेअर को बंद कर दिया गय। इससे माता-पिता के लिए अपने बच्चों की देखरेख करना चुनौतीपूर्ण हो गया। 
 
स्थानीय मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निभाते हुए कोविड-19 के प्रति जागरूकता फैलाने एवं सरकारी दिशा-निर्देशों की समय-समय पर जानकारी उपलब्ध करवाई। टीवी चैनलों ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री द्वारा अपडेट किए गए कई लाइव टेलीकास्ट भी किए हैं। एफएम रेडियो चैनलों ने भी कोरोना से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए। यहां पर एक व्यक्ति ने कोरोना संक्रमण को ठीक करने संबंधी विज्ञापन प्रकाशित करना चाहा, लेकिन सरकार ने उसे रोक दिया।
 
प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका : पीएम मॉरिसन एवं भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण बीमारी से निपटने के लिए लगातार सक्रिय होकर उपाय किए हैं। दोनों ही देशों ने समय पर लॉकडाउन लगाने में तत्परता दिखाई है एवं विश्व में अच्छे नेताओं की तरह काम किया है। ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से दी गई सलाह का पालन किया। प्रतिबंधों का पहला चरण सख्त नहीं था। जब यहां के नागरिक उसका पालन नहीं करते दिखे तो पीएम ने तुरंत सख्त कानून लागू कर दिया। 
 
नवीन का मानना है कि भारत एक घनी आबादी वाला देश है। इसलिए लॉकडाउन हटाने के बाद यहां पर स्थिति चिंताजनक हो गई है। हालांकि भारत में लॉकडाउन के जल्दी लागू करने से सरकार को स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने का समय मिल गया। प्रवासी मजदूरों पर इसका असर जरूर देखने को मिला है। 
 
इस तरह चली कोरोना से जंग : ऑस्ट्रेलिया में में 13 मार्च को लॉकडाउन हुआ था। उस समय जनप्रतिनिधियों ने 500 से अधिक प्रतिभागियों वाले कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया। 15 मार्च को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले लोगों को 14 दिन के लिए सेल्फ आईसोलेशन में रहने के सख्त निर्देश दिए। 18 मार्च को 100 से अधिक लोगों के समारोह में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया।
19 मार्च को सरकार ने बाहरी लोगों के लिए ऑस्ट्रेलिया की सीमाओं को बंद करने की घोषणा की। 24 मार्च को 10 से अधिक लोग समूह में सड़क पर नहीं दिखाई दें इसके लिए नियम लागू किए, लेकिन 29 मार्च को इसे 2 लोगों तक सीमित कर दिया। विपक्ष ने इस दौरान सरकार की आलोचना नहीं की, लेकिन बेरोजगारी के मुद्दे पर जरूर सरकार को घेरने का प्रयास किया। 
 
घरेलू हिंसा बढ़ी : ऑस्ट्रेलिया विश्व के सबसे सुरक्षित देशों में से एक है। कई सर्वेक्षणों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे सुरक्षित देश माना जाता है। 1996 में ऑस्ट्रेलिया में एक नरसंहार हुआ था। इसके बाद सरकार ने उस साल बंदूकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। लॉकडाउन के कारण यहां आमतौर पर अपराध नहीं हुए। घरेलू हिंसा में जरूर वृद्धि देखी गई। इस तरह की घटनाएं वैश्विक स्तर पर भी हुई हैं। 
 
बेरोजगारी बढ़ी : कोरोना काल में ऑस्ट्रेलिया में कई लोगों की नौकरी गई है। ऑस्ट्रेलिया में 7300 के लगभग कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। एक्टिव केसों की संख्या 400 के लगभग ही है। मेरा मानना है कि दो महीने से बॉडर बंद होने से ऑस्ट्रेलिया में स्थिति नियंत्रण में है। ऑस्ट्रेलिया सरकार पात्र लोगों को 1500 डॉलर हर पंद्रह दिन में दे रही है। विज्ञापन, ब्रांडिंग, बिक्री एवं मार्केटिंग पर प्रभाव कम ही देखने को मिला है।
 
30 साल में पहली बार मंदी : ऑस्ट्रेलिया विश्व का एकमात्र ऐसा विकसित देश है, जहां पर पिछले 30 सालों से किसी प्रकार की कोई मंदी देखने को नहीं मिली है। यहां तक की 2008 में वैश्विक मंदी के समय भी ऑस्ट्रेलिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। हालांकि कोविड-19 के कारण यहां भी मंदी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 
पर्यटन भी नहीं बचा : वर्तमान दौर का ऑस्ट्रेलिया में पर्यटन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है। लॉकडाउन के चलते पर्यटन की रफ्तार थम-सी गई थी। अब ढील देने से स्थानीय लोगों ने देश के अनेक स्थानों में आना-जाना आरंभ कर दिया है। आने वाले समय में जैसे ही अंतरराष्ट्रीय यात्राएं आरंभ होंगी, पर्यटन के भी सामान्य होने की उम्मीद है। 
 
बाहरी लोगों से बढ़ा संक्रमण : ऑस्ट्रेलिया में संक्रमण बाहर से आने वाले लोगों के कारण ही बढ़ा है। वे ही लोग ज्यादा संक्रमण की चपेट में आए हैं, जो कि पहले से ही अनेक बीमारियों से ग्रस्त थे। हालांकि ऑस्ट्रेलिया में लोग अनुशासित हैं। वे स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते हैं। कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया की स्वास्थ्य प्रणाली स्वास्थ्य परिणामों एवं स्वास्थ्य प्रशासन के आधार पर विश्व में पहले स्थान पर है। 
 
चीन से आशंका : ऑस्ट्रेलिया के लोग चीन को लेकर काफी आशंकित हैं। चीन ऑस्टेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। कोरोना संक्रमण फैलने के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया के नीति निर्माता चीन से नाराज भी हैं। चीन ने अपने देश में इस बीमारी को बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया है, लेकिन अन्य देशों में इसके प्रसार को रोकने में कोई योगदान नहीं दिया। चीन की विस्तारवादी नीति के कारण इसके पड़ोसी देश भी उलझन में हैं। 
भारत-ऑस्ट्रेलियाई गठजोड़ : नवीन मानते हैं कि चीन को टक्कर देने के लिए भारत एवं ऑस्ट्रेलिया को मिलकर काम करना चाहिए। दोनों को परस्पर सहयोगी नीतियां बनानी चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरीसन की भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वर्चुअल मीटिंग भी हुई है। अत: इस दिशा में कोई नीति जरूर बननी चाहिए। 
 

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