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महाराष्ट्र के तुलजापुर मंदिर में ड्रेस कोड को लेकर विवाद, जानिए क्या है मंदिर का शिवाजी से कनेक्शन

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मंगलवार, 30 मई 2023 (11:05 IST)
Maharashtra News : महाराष्ट्र के तुलजापुर मंदिर में ड्रेस कोड लागू किया गया है। यहां शॉर्ट पैंट और स्कर्ट पहनने वालों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। जो लोग ड्रेस कोड में नहीं आ रहे हैं, उन्हें दर्शन नहीं करने दिया जा रहा है। NCP नेताओं ने भी ड्रेस कोड पर नाराजगी जताई। 
 
मंदिर के प्रवेश द्वार पर ड्रेस कोड के बारे में सूचना लगा दी गई है। इसमें कहा गया है कि अंग प्रदर्शन वाले, उत्तेजक, असभ्य, अशोभनीय वस्त्रधारी और हाफ पैंट, बरमूडा जैसे परिधान वालों के लिए मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है। कृपया भारतीय संस्कृति और सभ्यता का ध्यान रखें।
 
ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वालों को लौटाया जा रहा है। मंदिर में घूमने की इजाजत उन्हीं लोगों को है, जो सभ्य पोशाक पहनकर परिसर में आ रहे हैं।
 
ड्रेस कोड से NCP नेता नाराज : एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि ऐसा कौन से भगवान ने कहा है कि बच्चे हाफ पैंट में आएंगे तो उन्हें दर्शन नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कुछ बातों को अधिक महत्व दे रहे हैं। ड्रेसकोड के बारे में कैसे नियम कर सकते हैं।
 
छगन भुजबल ने मंदिरों में ड्रेस कोड को लागू करने की कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि क्या हॉफ पैंट पहन कर मंदिर नहीं जाना चाहिए? हाफ पैंट पहनने पर लड़के को बाहर निकाल दिया गया। यह बकवास है।
 
जानिए तुलजापुर के बारे में : महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहाँ छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी श्रीतुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं।
 
तुलजा भवानी महाराष्ट्र के प्रमुख साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक है तथा भारत के प्रमुख पचास शक्तिपीठों में से भी एक मानी जाती है। मान्यता है कि शिवाजी को खुद देवी माँ ने तलवार प्रदान की थी। अभी यह तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है।
 
यह मंदिर महाराष्ट्र के प्राचीन दंडकारण्य वनक्षेत्र में स्थित यमुनांचल पर्वत पर स्थित है। ऐसी जनश्रुति है कि इसमें स्थित तुलजा भवानी माता की मूर्ति स्वयंभू है। इस मूर्ति की एक और खास बात यह है कि यह मंदिर में स्थायी रूप से स्थापित न होकर ‘चलायमान’ है। साल में तीन बार इस प्रतिमा के साथ प्रभु महादेव, श्रीयंत्र तथा खंडरदेव की भी प्रदक्षिणापथ पर परिक्रमा करवाई जाती है।
 

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