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कहानी मध्यप्रदेश के एक ऐसे गांव की जहां 45 से अधिक उम्र के सभी लोगों को लगा कोरोना का टीका

81 साल की उम्र में जब मैंने लगवाया टीका, तो आप क्यों हैं पीछे - बहोरन दादा

कहानी मध्यप्रदेश के एक ऐसे गांव की जहां 45 से अधिक उम्र के सभी लोगों  को लगा कोरोना का टीका
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विकास सिंह

, बुधवार, 2 जून 2021 (09:26 IST)
कोरोना वैक्सीन को लेकर जहां शहरों में लोगों में भ्रम और अफवाह के चलते डर का माहौल है वहीं कटनी जिले के बहोरीबंद विकासखण्ड के गांव बम्हौरी ने मिसाल पेश की है। यह मिसाल उन लोगों के लिये आईना है, जो कोरोना का टीका लगवाने से कतरा रहे हैं या घबरा रहे हैं। जहां कोरोना से लड़ाई में अपना सुरक्षा कवच पाने में कुछ लोग भ्रामक जानकारियों में उलझ कर टीकाकरण नहीं करा रहे हैं,वहीं ककरेहटा ग्राम पंचायत का बम्होरी गांव जनजागरुकता के लिये मील का पत्थर बनकर सामने आया है। इस छोटे से गांव के 45 आयुवर्ग व उससे अधिक के शत्-प्रतिशत लोगों ने कोरोना का टीका लगवाया है। कुछ ग्रामीणों को जहां पहला टीकाकरण हुआ है, वहीं कुछ ने निर्धारित अवधि मे टीके के दोनों डोज लेते हुये अपना सुरक्षा घेरा तैयार कर लिया है।
 
ग्राम बम्होरी के रोजगार सहायक लाल बहादुर सिंह सेंगर ने बताया कि कोरोना टीकाकरण को लेकर हमारे गांव में पहले दिन से ही जागरुकता थी। जब फ्रंट लाईन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स को टीकाकरण प्रारंभ हुआ, तभी से हमारे गांव के युवाओं ने टीकाकरण के प्रति जागरुकता के लिये प्रयास चालू किये। इसका परिणाम रहा कि जैसे ही हमारे क्षेत्र में वैक्सीनेशन प्रारंभ हुआ और 60 आयुवर्ग एवं उससे अधिक आयु के लिये कोरोना का टीका लगना शुरु हुआ, तो उत्साह के साथ ही हमारे गांव के बुजुर्गों ने टीकाकरण केन्द्र पहुंचकर कोरोना का टीका लगवाया। अब इस आयुवर्ग के हमारे गांव के सभी 32 बुजुर्गों का टीकाकरण हो चुका है।
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लाल बहादुर ने यह भी जानकारी दी कि 45 आयु व उससे अधिक आयु के लिये टीकाकरण प्रारंभ होने पर हमारे गांव के निवासियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुये बढ़ चढ़कर कोरोना का टीका लगवाया। इस आयुवर्ग के 102 लोगों में से 101 ने अपना टीकाकरण करा लिया है। शेष एक को स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों के कारण टीकाकरण नहीं हुआ है।
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अब 18 व उससे अधिक आयुवर्ग के लिये हमारे युवाओं में टीकाकरण को लेकर खासा उत्साह है। अपर कलेक्टर रोहित सिसोनिया के प्रयासों से हमारे गांव में टीकाकरण का कैम्प लगा, जिसमें पहले ही दिन 67 युवाओं ने अपना टीकाकरण कराया है। कोविन पोर्टल पर सही समय पर पंजीयन हो, इसके लिये हमारी युवाओं की एक टीम सक्रिय है। 40 और युवाओं ने कोरोना टीकाकरण के लिये अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।
 
टीकाकरण करा चुके 81 वर्षीय बम्होरी गांव निवासी बहोरन दादा ने बताया कि मैंने दोनों टीके लगवाये हैं। अच्छा महसूस होता है और सुरक्षित भी। मुझे किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई। यह टीका सुरक्षित है। जब 81 साल की उम्र में मैं लगवा सकता हूं, तो बाकी और काहे नहीं। हमारे गांव में तो सब टीका लगवाये हैं।
 
62 वर्षीय अमर सिंह ने भी टीकाकरण को लेकर अपने अनुभव साझा किये। उन्होने बताया कि मैने दोनो डोज की वेक्सीन लगवाई है। हमारे गांव के सभी पात्र लोग टीकाकरण करा चुके हैं। टीकाकरण में हम सभी ने एक दूसरे का सहयोग किया और मुझे स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दिक्कत नहीं आई।
 
बम्हौरी गांव की गुड्डी बाई टीकाकरण कराकर बहुत संतुष्ट हैं। गुड्डी बाई ने कहा कि हमें एक टीका लगा है, हम दूसरा भी लगवायेंगे। हमने घर के सभी लोगों को भी टीका लगवाया है। हमारे लड़का लड़की बचे हैं, उनको भी जल्द ही टीका लगने वाला है।
 
ऐसा नहीं है कि बम्हौरी गांव ने कोरोना की लहर को ना सहा हो। इस गांव से 8 पॉजीटिव मरीज सामने आये थे। किल कोरोना अभियान के तहत 120 घरों का सर्वे किया गया। 150 की सैम्पलिंग की गई। गनीमत यह भी रही, कि कोरोना से कोई भी मृत्यु इस गांव में नहीं हुई। जिसके बाद ग्रामीणों ने टीकाकरण कराने की ठान ली। शासन-प्रशासन के सहयोग और जागरुकता ने इनके आत्मबल को संबल दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और जनअभियान परिषद्की नवांकुर संस्थाओं के सदस्यों ने घर-घर जाकर कोरोना टीका का महत्व बताया और आज यह पूरा गांव जिले के सभी गांवों के लिये एक उदाहरण के रुप सामने आया है।
 
इतना ही नहीं गांव की जागरुकता का स्तर आप इस बात से ही समझ सकते हैं कि इस गांव के किशोर सिंह को जैसे ही दो दिन बुखार आया, उन्होने बिना देर किये अपना कोविड टेस्ट कराया। उनकी रिपोर्ट पॉजीटिव आई, तो वे भयभीत नहीं हुये। स्वविवेक और जागरुकता का परिचय देते हुये अपने घर के अन्य सदस्यों की भी जांच कराई। बहु और बेटा पॉजीटिव आये और फिर जिला प्रशासन के द्वारा चिकित्सीय परामर्श कोविड कमाण्ड कंट्रोल के माध्यम से दिया गया। होम आईसोलेशन के विषय में बताया गया। जिसके निर्देशों का पालन उन्होने दृढ़ता के साथ किया और घर में रहकर ही तीनों ने कोरोना को मात दी।

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