मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा के जवाहरबाग में हुई हिंसा में पुलिस अधीक्षक (नगर) और एक थानाध्यक्ष समेत 21 लोगों की मृत्यु हुई है। प्रशासन का दावा है कि जवाहरबाग में जो कब्जाधारी थे उनमें कुछ नक्सली भी थे।
मथुरा हिंसा पर बयान देते हुए डीजीपी जाविद अहमद ने कहा कि पुलिस पर हथियारों से हमला किया गया। हादसे के बाद 2 अफसरों समेत 22 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 11 की मौत लाठियों से हुई है। 23 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। अब तक 124 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रामवृक्ष यादव समेत गिरफ्तार लोगों पर रासुका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवारों की पूरी मदद की जाएगी।
आगरा मंडल के आयुक्त प्रदीप भटनागर ने बताया कि जवाहरबाग को कब्जाधारियों से मुक्त करा लिया गया है। इस घटना में पुलिस अधीक्षक (नगर) मुकुल द्विवेदी और फरह थाने के थानाध्यक्ष संतोष यादव उपद्रवियों की गोली लगने से शहीद हो गए। इस घटना में 19 कब्जाधारियों की भी मृत्यु हुई है। उन्होंने बताया कि घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
इस बीच लखनऊ से पुलिस महानिदेशक एस जावीद अहमद और मुख्य सचिव आलोक रंजन भी आज सुबह मथुरा पहुंच चुके हैं।
गुरुवार देर रात मथुरा पहुंचे राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने बताया कि तलाशी के दौरान जवाहरबाग से बड़ी संख्या में हथियार और कुछ विस्फोटक भी बरामद हुआ है। इस घटना में पुलिस उपाधीक्षक और सिटी मजिस्ट्रेट समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। घायलों में दो पुलिसकर्मियों की हालत गंभीर है।
उन्होंने बताया कि मृतक कब्जाधारियों की पहचान की जा रही है। इस मामले में बड़ी संख्या में कब्जाधारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में करीब 280 एकड सरकारी जमीन को खाली कराने गई पुलिस पर कथित सत्याग्रहियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी थी। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाई और लाठियां भांजी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए राहत राशि देने की घोषणा के साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवार्ई का आदेश दिया है। पूरे मामले की जांच आगरा के मण्डलायुक्त प्रदीप भटनागर को सौंपी गयी है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पर्याप्त पुलिस बल के साथ कैम्प कर रहे हैं। (वार्ता)