मुंबई। महंगाई में नरमी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने उम्मीदों के अनुरूप मंगलवार को ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है, जिससे आने वाले दिनों में घर और कार ऋण के सस्ता होने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए रेपो दर को 0.25 प्रतिशत कम कर 6.50 प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष के लिए अपने सकल घरेलू अनुमान को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रेपो दर पर बैंकों को ऋण मिलता है।
अल्पकालिक ब्याज दरों में कमी किये जाने से लोगों के घर एवं वाहन खरीदने के लिए सस्ते ऋण की उम्मीदों को बल मिला है। आरबीआई ने सीआरआर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
रिजर्व बैंक ने फौरी मुद्रा बाजार और रेपो दर में तालमेल बिठाने के लिए रिवर्स रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर छह प्रतिशत कर दिया है। वहीं, बैंक दर में 0.75 फीसदी की कटौती कर सात प्रतिशत और सीमांत स्थाई सुविधा दर (एमएसएफ) को भी 0.75 फीसदी घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।
महंगाई को लेकर आरबीआई आशांवित नजर आ रहा है और उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष के अंत तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई की दर 4.2 प्रतिशत रह सकती है। राजन ने कहा कि महंगाई दर छह महीने बढ़ने के बाद फरवरी में घटी है। वित्त वर्ष 2017 में इसके पांच प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखी गई। बीएसई का सेंसेक्स करीब 300 अंक टूट गया और एनएसई का निफ्टी करीब 90 अंक लुढ़क गया।
राजन ने जरूरत पड़ने पर ब्याज दरों में और कमी किए जाने का संकेत देते हुए उम्मीद जताई की बैंक कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को पहुँचाने के लिए ऋण सस्ता करेंगे।
राजन ने कहा कि महंगायी बढ़ने के बाद भी अनुमानित लक्ष्य के आस-पास है और यह जनवरी 2016 के लिए निर्धारित लक्ष्य से थोड़ा नीचे है। आगे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है और अलग-अलग तिमाहियों में मामूली उतार-चढ़ाव के साथ वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इसके पांच प्रतिशत के आस-पास रहने का अनुमान है। हालांकि महंगाई पर लगाम लगाने की राह में बेमौसम बारिश और मानूसन के कमजोर रहने जैसे जोखिम बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि महंगाई के स्तर पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशे लागू होने का प्रत्यक्ष और परोक्ष असर पड़ सकता है। वहीं, दूसरी ओर वैश्विक मांग के सुस्त रहने से महंगाई नियंत्रण में रह सकती है। ऐसे में सरकार के आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने के के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदम और वित्तीय सुदृढ़ीकरण की प्रतिबद्धता खाद्य पदार्थों की कीमत को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में आर्थिक विकास की रिकवरी से वित्त वर्ष 2016-17 में विकास दर में धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है। इस दौरान 'वन रैंक वन पेंशन', सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने जैसे कारकों से मांग बढ़ने के साथ ही मानसून सामान्य रहने से भी इसे बल मिलेगा। लगातार दो साल तक सूखे की मार झेलने के बाद चालू वित्त वर्ष में मानसून का सामान्य रहने का अनुमान आपूर्ति को मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्र की मांग बढ़ाने में मददगार होगा, जिसका प्रभाव महंगाई पर दिख सकता है।
राजन ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र के मूल्य वर्द्धन पर लागत घटने का क्षीण प्रभाव, कॉर्पोरेट क्षेत्र पर ऋण का भार बरकरार रहना और बैंकिंग क्षेत्र के जोखिम तथा वैश्विक आर्थिक सुस्ती के साथ ही कारोबार अनुमान आर्थिक विकास के नकारात्मक पहलुओं को उजागर कर सकता है। इसके मद्देनजर वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) अनुमान को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति में बदलाव के लिए आरबीआई अधिनियम में किए गए संशोधन से मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में सरकार के वित्तीय सुदृढृीकरण की राह पर चलने की प्रतिबद्धता से अवस्फीति को आगे भी बल मिलेगा। निजी निवेश के कमजोर रुझान और कंपनियों के उसकी क्षमता से कम इस्तेमाल को इस बार ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती से कंपनियों की गतिविधियों में तेजी आने के साथ ही सरकार को नयी पहल करने में मदद मिलेगी। (वार्ता)