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मोदी के कार्यक्रम में सिंगापुर सरकार का अड़ंगा

मोदी के कार्यक्रम में सिंगापुर सरकार का अड़ंगा
, सोमवार, 2 नवंबर 2015 (10:37 IST)
नई दिल्ली। सिंगापुर की सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान 24 नवंबर को सिंगापुर एक्सपो के एरीना में होने वाले कार्यक्रम में सिंगापुर के भारतीय मूल के नागरिकों के भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
शहर की सरकार के इस फैसले से व मोदी के भव्य स्वागत समारोह में लोगों के फ्री आमंत्रण पर रोक लगने से आयोजक मुश्किल में पड़ गए हैं। आयोजक अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आयोजन को कैसे सफल बनाया जा सके।
 
विदित हो कि मोदी की गैर-परम्परागत तरीके की विदेश नीति के तहत भारतीय मूल के लोगों से मिलने के अभियान को लेकर सिंगापुर की यह पहली प्रतिक्रिया आई है। ऐसा लगता है कि मोदी की इस कोशिश को लेकर कई देशों की सरकारों में बेचैनी है, लेकिन वे भारत सरकार को किसी भी तरह से आहत करने से बचना चाह रही हैं और भारत जैसे मित्र देश से आने वाले सम्मानित मेहमान का अनादर भी नहीं करना चाहती हैं।
 
इसलिए आयोजकों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि भारतीय मूल के जो लोग मोदी के कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें सिंगापुर सरकार से अनुमति लेनी होगी। साथ ही, मोदी का सार्वजनिक तौर पर सम्मान करने का आयोजन करने वालों को भी सरकार से अनुमति लेनी होगी। स्थानीय सरकार के इस आदेश से भारतीय लोगों के संघों ने कहा है कि वे इसका सही अर्थ समझने की कोशिश करें हालांकि सिंगापुर की सरकार अपने नागरिकों पर रोक नहीं लगाना चाहती है।
 
इस बीच सिंगापुर तेलुगु समाजम ने एक सर्कुलर जारी कर अपने सदस्यों से कहा है कि संगठन से जुड़े सभी स्थायी नागरिक या एनआरआई एक वेबसाइट पर आयोजन में भाग लेने के लिए रजिस्टर कराएं। इस रजिस्टर का कोड 'नमो इन सिंगापुर' है और तेलुगु समाजम का कोड '028' है।
 
19 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सिंगापुर की नागरिकता प्राप्त जो भी समाज के सदस्य आयोजन में भाग लेने के उत्सुक हों, वे इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि उन्हें एक एंट्री पास निश्चित तौर पर मिल जाएगा।
 
इसका अर्थ यह है कि सिंगापुर के अधिकारियों के पास एंट्री पास बांटने का अधिकार है और वे इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों को कितने पास जारी करेंगे और वे किन्हें पास देंगे। आमतौर पर ऐसे मामलों में औपचारिक प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि दूसरे देशों में पैदा हुए स्थानीय नागरिक सरकार और इसके अधिकारियों का किसी भी प्रकार से कोपभाजन नहीं बनना चाहेंगे। इसलिए माना जा रहा है कि सिंगापुर जैसे देश में बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे,जो कि सरकार की नाराजगी की परवाह किए बिना एंट्री पास की मांग करेंगे। 
 
'द टेलीग्राफ' कोलकाता में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार मोदी ने जब चीन का दौरा किया था तो चीन सरकार ने भी अपने नागरिकों पर इस तरह का प्रतिबंध लगा दिया था। सिंगापुर के आसपास के देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के भी इस तरह के आयोजन में भाग लेने को लेकर बहुत उत्साह नहीं है। (भाषा)

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