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अमेठी में ऑक्सीजन की गुहार पर एफ़आईआर की पूरी कहानी

BBC Hindi
गुरुवार, 29 अप्रैल 2021 (08:01 IST)
समीरात्मज मिश्र, बीबीसी संवाददाता
अमेठी पुलिस ने अपने बीमार नाना की मदद के लिए ट्वीट करने पर एक युवक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया और फिर उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया। अमेठी पुलिस का दावा है कि युवक के नाना को ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं थी और न ही वो कोरोना पॉज़िटिव थे, इसलिए युवक के ख़िलाफ़ महामारी एक्ट के तहत अफ़वाह फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।

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अमेठी ज़िले के युवक का नाम शशांक यादव है और अब उनके बीमार नाना की मौत हो गई है। शशांक ने 26 अप्रैल को ट्विटर के माध्यम से बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद से अपने बीमार नाना के लिए ऑक्सीजन की गुहार लगाई। इस मामले में दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार आरफ़ा ख़ानम से भी शशांक के किसी दोस्त ने ट्वीट करने का अनुरोध किया।
 
आरफ़ा ने शशांक यादव के ट्वीट को अपने ट्विटर हैंडल से री-ट्वीट किया और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी को भी टैग कर दिया।

अमेठी पुलिस का बयान
अमेठी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का संसदीय क्षेत्र भी है। स्मृति ईरानी ने आरफ़ा ख़ानम के ट्वीट का संज्ञान लेने के लिए तुरंत अमेठी ज़िला प्रशासन से कहा। ज़िला प्रशासन और ज़िला पुलिस इस ट्वीट से हरकत में आई लेकिन पुलिस का कहना है कि शशांक का फ़ोन न मिल पाने के कारण मदद नहीं पहुंच सकी।

अमेठी के पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने बीबीसी को बताया कि जांच के बाद पता चला कि ट्वीट किया गया मामला सही नहीं था इसलिए हमने शशांक यादव के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था।

एसपी दिनेश सिंह के मुताबिक, "ट्वीट के बाद हमने और सीएमओ साहब ने कई बार शशांक से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन फ़ोन बंद था। हमें लगा कि मुश्किल घड़ी है, फ़ोन किसी वजह से बंद हो गया होगा इसलिए हमने मोबाइल की लास्ट लोकेशन को ट्रेस किया और फिर शशांक के घर पहुंचे। उस वक़्त शशांक घर में सो रहा था। चूंकि यह बेहद मुश्किल वक़्त है और इसमें कोरोना वॉरियर्स भी बहुत परेशान हैं और ऐसे ट्वीट्स की वजह से अनावश्यक सनसनी फैलती है इसलिए हमने केस दर्ज किया, उसे गिरफ़्तार किया और फिर चेतावनी देकर छोड़ दिया।"

एसपी दिनेश सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि बुज़ुर्ग व्यक्ति रिश्ते में शशांक के नाना लगते थे। उनकी उम्र 88 साल थी और वो बीमार थे। पुलिस के मुताबिक, उन्हें न तो कोरोना था और न ही उन्हें ऑक्सीजन के लिए किसी डॉक्टर ने कोई सलाह दी थी।

एसपी दिनेश सिंह के मुताबिक, "शशांक ने केवल सनसनी पैदा करने के लिए ट्वीट किया और ऑक्सीजन की मांग की। पूछताछ में उसने यह बात स्वीकार भी की कि उससे ग़लती हुई।" बुधवार को कई बार फ़ोन करने पर भी शशांक से बीबीसी का संपर्क नहीं हो सका।
 
पुलिस ने शशांक के ख़िलाफ़ रामगंज थाने में महामारी अधिनियम और आपदा अधिनियम की धारा 54 के तहत मुक़दमा दर्ज किया था लेकिन बाद में सीआरपीसी की धारा 41 की नोटिस तामील कराकर चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया। लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई की चर्चा सोशल मीडिया में छाई हुई है।

पत्रकार को ट्वीट के लिए चेतावनी
इससे पहले अमेठी पुलिस ने ट्विटर पर ही पत्रकार आरफ़ा ख़ानम को ऐसे ट्वीट न करने की सलाह देते हुए चेतावनी दी कि ऐसा करना ग़ैर-क़ानूनी और आपराधिक है।

बीबीसी से बातचीत में आरफ़ा ख़ानम कहती हैं, "मैंने स्मृति ईरानी को टैग किया था और उन्होंने तुरंत उसका संज्ञान भी लिया लेकिन शशांक का फ़ोन नहीं मिला और फिर मुझे पता चला कि उसके नाना बच भी नहीं पाए। लेकिन सुबह मैंने देखा कि अमेठी पुलिस का जवाब आया कि शशांक के नाना न तो कोविड पॉज़िटिव थे और न ही उन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत थी। मैंने लिखा कि हम किसी की मेडिकल रिपोर्ट देखकर तो ट्वीट कर नहीं रहे हैं।

मदद की किसी को ज़रूरत है तो हम भी उसे आगे बढ़ा दे रहे हैं। लेकिन उसके बाद अमेठी पुलिस का दोबारा जवाब आता है कि आपकी यह कार्रवाई अफ़वाह फैलाने वाली है और ग़ैर क़ानूनी है।"

आरफ़ा बताती हैं कि उसके बाद अमेठी पुलिस ने एक और ट्वीट किया जिसमें इस मामले में एफ़आईआर की बात कही गई थी लेकिन शशांक का नाम नहीं था तो मुझे लगा कि कहीं एफ़आईआर मेरे ख़िलाफ़ ही तो नहीं हुई है। लेकिन बाद में पता चला कि वो एफ़आईआर शशांक के ख़िलाफ़ थी।

आरफ़ा कहती हैं, "आपदा और बेबसी की इस घड़ी में सोशल मीडिया के ज़रिए नागरिकों का नागरिकों के साथ एक रिश्ता क़ायम हुआ है, लेकिन अब उन्हें पुलिस धमका रही है। क्या अब कोई सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन, प्लाज़्मा या दवाओं के लिए मदद माँगेगा तो उसकी सारी रिपोर्टें चेक करनी होंगी? ऐसे में कौन किसकी मदद कर पाएगा?"

ऑक्सीजन की कमी का दावा
पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह कहते हैं, "कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से मदद मांग सकता है। उसके लिए हम हमेशा तैयार हैं। लेकिन झूठी अपील से कोरोना वारियर्स परेशान होंगे और जिन्हें वास्तव में ज़रुरत है उनकी मदद नहीं हो सकेगी।"

अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आशुतोष दुबे ने मीडिया को बताया कि शशांक के नाना का कोविड-19 परीक्षण नहीं कराया गया था और वह एक निजी चिकित्सालय में इलाज करा रहे थे।

सीएमओ आशुतोष दुबे के मुताबिक, उन्हें पास के ही रामगंज या भादर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं ले जाया गया था। आशुतोष दुबे कहते हैं कि शशांक के नाना की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु होने का दावा भी सही नहीं है।

सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि हो सकता है कि शशांक ने जानकारी न होने की वजह से, या फिर घबराहट में ऑक्सीजन के लिए अपील की हो तो सिर्फ़ इस वजह से एफ़आईआर कर देना किस हद तक सही है?

इस बीच, सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की मदद मांगने वालों पर कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई को रोकने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है।

इस जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील साकेत गोखले ने दायर की है। याचिका में कोर्ट से अपील की गई है कि सोशल मीडिया पर कोरोना संकट के समय मदद की अपील कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।

याचिका में अमेठी के शशांक यादव के ट्वीट का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह कार्रवाई कोविड-19 महामारी में सरकार के निपटने की नाकामी को लेकर हो रही आलोचना से बचाने के लिए की जा रही है।

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