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आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि कब से हो रही है प्रारंभ, धन के लिए जानिए खास 5 उपाय

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि कब से हो रही है प्रारंभ, धन के लिए जानिए खास 5 उपाय
Aashadh gupt navratri 2022: वर्ष में चार नवरात्रि आती है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ माह में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए 'गुप्त नवरात्रि' होती है।
 
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 जून 2022, गुरुवार को प्रारंभ होगी जो 8 जुलाई तक चलेगी। गुप्त नवरात्रि में दश महाविद्याओं की पूजा और आराधना होती है। गुप्त नवरात्रि की देवियां:- 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला। उक्त दस महाविद्याओं का संबंध अलग अलग देवियों से हैं।
 
5 खास उपाय :
 
1. पहला उपाय : इन नवरात्रि में 9 कन्याओं को अच्छे से भोजन कराएं और उन्हें हरी चुनरी भेंट करें। इस उपाय से सभी तरह के संकट दूर होंगे।
 
2. दूसरा उपाय : इस नवरात्रि में चांदी की कोईसी भी वस्तु माता के श्रीचरणों में दान करें। इस उपाय से लक्ष्मी की प्राप्त होगी। 
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Gupt Navaratri 2022
3. तीसरा उपाय : 9 दिनों तक हवन करें। इस दौरान घी में कमलगट्टे को भिगोकर दुर्गासप्तशती का पाठ करते हुए आहुति दें। अंत में अर्थात महानंदा नवमी के दिन नौ कन्याओं को मखाने की खीर खिलाएं, उन्हें दक्षिणा दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें। इससे आपको हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
 
4. चौथा उपाय : नवरात्रि में दुर्गासप्तशती के 12वें अध्याय के 21 बार पाठ करें। अंत में अर्थात महानंदा नवमी के दिन नौ कन्याओं को मखाने की खीर खिलाएं, उन्हें दक्षिणा दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें। इससे आपकी बेरोजगारी का समाधान होगा और अच्छी नौकरी मिलेगी।
 
5. पांचवां उपाय : 10 महाविद्याओं की विधिवत सुबह और शाम को पूजा करें। दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं। इसके साथ ही प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थान पर अपने सामने एक मोती शंख पर केसर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं रखें और स्फटिक की माला से निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। मंत्रोच्चार के साथ एक-एक अक्षत शंख में डालते जाएं। लगातार 9 दिनों तक यह कार्य करें। नौ दिनों के बाद शंख और इन चावलों को एक सफेद थैली में रखकर अपनी तिजोरी में रख लें।
 
मंत्र:- श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:

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