वाशिंगटन। एक समय था जब लोग प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी से संबंध बनाने में हिचकते थे लेकिन दो वर्ष के भीतर उनकी शख्सियत ऐसी हो गई है कि उनसे हर कोई संबंध बनाने के लिए लालायित है। एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के एक सप्ताह पहले यह बात कही।
कार्नेगी एंडोमेंट के एश्ले टेलिस ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति ओबामा के साथ उनकी संभवत: यह सातवीं बैठक होगी। कोई भी देश जो अमेरिका का औपचारिक सहयोगी नहीं है उसके शासनाध्यक्ष के साथ बैठक के मामले में संभवत: यह मोदी और ओबामा दोनों के लिए एक रिकॉर्ड होगा।
अगले सप्ताह के सात जून को व्हाइट हाउस में ओबामा-मोदी की बैठक से पहले व्हाइट हाउस के संवाददाताओं के एक समूह से टेलिस ने कहा कि यह व्यक्तिगत रिश्ते के बारे में बात करता है, जो दोनों के बीच पिछले दो वर्षों में विकसित हुई है और अमेरिका के साथ मोदी के इतिहास को देखते हुए यह आश्चर्यजनक है।
अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री आठ जून को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त सभा को संबोधित करेंगे।
कार्नेगी के मिलन वैष्णव ने टेलिस से सहमति जताते हुए कहा कि मोदी में आये व्यक्तिगत बदलाव उल्लेखनीय हैं। वैष्णव ने कहा कि दो वर्ष पहले तक कानूनी मुद्दे को लेकर मोदी अमेरिकी धरती पर पैर नहीं रख सके थे और अब अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त सभा को संबोधित करने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसा ही है कि एक व्यक्ति जिसे कल तक कोई संपर्क नहीं बनाना चाहता था आज उससे संपर्क स्थापित करने के लिए सभी लालायित हैं।
दो वर्षों के शासन के दौरान विदेश नीति को लेकर पूरे अंक देते हुए टेलिस ने कहा कि किसी खास विफलता की पहचान मुश्किल है और पाकिस्तान और नेपाल ही दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां उनकी नीति थोड़ी कमजोर पड़ती दिख रही है। (भाषा)