- पं. उमेश दीक्षित
अक्षय तृतीया हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 7 मई 2019, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है। इसके साथ ही तंत्र-मंत्र, सिद्धि, दान-पूजा इत्यादि का अक्षय लाभ इस दिन करने पर प्राप्त होता है, ऐसी शास्त्रीय मान्यता है।
मनुष्य जीवन में हर क्षण कोई न कोई समस्या उत्पन्न होती है तथा जिसका निदान भौतिक रूप से मिलता नहीं। इसी कारण परालौकिक शक्तियों की सहायता से जिन्हें हम भगवान, देवता इत्यादि के नाम से जानते हैं, के मंत्र, जप, पूजा-पाठ, दान-धर्म इत्यादि से करते हैं। श्रद्धा तथा विश्वास से करें तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
आइए जानें अक्षय तृतीया के दिन कैसे करें सरल उपाय :-
1. जिन व्यक्तियों की रोजी-रोजगार की व्यवस्था न हो रही हो या बरकत न हो, वे उपरोक्त तरीके से निम्नलिखित मंत्र की 51 माला जपें तथा बाद में भी 1 माला जब तक कार्य न हो, तब तक करें। जादुई प्रयोग है।
मंत्र : - 'ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्।।'
यदि सवा लाख जप कर दशांश हवन, तर्पण, मार्जन, कन्या-ब्राह्मण भोजन करवाया जाए तो सभी ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।
2. जिन व्यक्तियों को बड़े या कठिन मंत्र पढ़ने में कठिनाई लगे, वे लक्ष्मी एकाक्षरी मंत्र 'श्रीं' का जप करें। इसका उच्चारण इस प्रकार होगा- श्रीम् (SHREEM)। कहा जाता है इसका 12 लाख जाप करने पर लक्ष्मीजी प्रत्यक्ष हो जाती हैं।
3. दुकान या फैक्टरी न चल रही हो या घर पर कलह हो चांदी की डिब्बी में शुद्ध सिन्दूर रखकर तथा 11 गोमती चक्र रखकर उपरोक्त मंत्र कोई सा भी प्रयोग कर वह डिब्बी गल्ले-तिजोरी या पूजा के स्थान पर रखें, निश्चित लाभ होगा।
4. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए- पीत वस्त्रासन, पंचमुखी घृत का दीपक, स्फटिक की माला से उत्तराभिमुख हो रात्रि के समय 'ॐ कमलवासिन्यै श्री श्रियै ह्रीं नम:' की 108 माला जपें। सामने प्रतिष्ठित श्री यंत्र या महालक्ष्मी यंत्र रखें। रक्तपुष्प, कमल गट्टा आदि दूध से बने पदार्थ का नैवेद्य लगाकर तथा संभव हो तो 1 माला अंत में हवन करे। पश्चात यंत्र को उठाकर गल्ले या तिजोरी में रख दें।
5. रजत या ताम्र पात्र में कमल गट्टे भरकर तथा उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर केशर से चावल रंगकर प्रति यंत्र 1-2 दाने चढ़ाते जाएं तथा वे सभी चावल इकट्ठे कर बाद में कन्याओं को खीर बनाकर खिलाएं।
6. एकाक्षी नारियल व दक्षिणावर्ती शंख भी इसी प्रकार सिद्ध कर रखे जा सकते हैं।