ॐ जै-जै भैरवबाबा स्वामी जै भैरवबाबा।
नमो विश्व भूतेश भुजंगी मंजुल कहलावा
उमानंद अमरेश विमोचन जनपद सिरनावा।
काशी के कृतवाल आपको सकल जगत ध्यावा।
स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा। ॐ।।
रवि के दिन जग भोग लगावे मोदक मन भावा।
भीषण भीम कृपालु त्रिलोचन खप्पर भर खावा।
शेखरचंद्र कृपालु शशि प्रभु मस्तक चमकावा।
गल मुण्डन की माला सुशोभित सुन्दर दरसावा। ॐ।।
नमो-नमो आनंद कंद प्रभु लट गत मठ झावा।
कर्ष तुण्ड शिव कपिल त्रयम्बक यश जग में छावा।
जो जन तुमसे लगावत संकट नहिं पावा।
छीतरमल जब शरण तुम्हारी आरती प्रभु गावा।
ॐ जै-जै भैरवबाबा स्वामी जै भैरवबाबा।