Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

वर्ष 2014 : कैसा रहा साहित्य के लिए बीता साल

वर्ष 2014 : कैसा रहा साहित्य के लिए बीता साल

स्मृति आदित्य

साल 2014 में भारत का साहित्य का संसार सूना-सूना रहा। कुछ बड़े नाम हम से बिछड़ गए और कई भावनात्मक खूबसूरत लेखनी सम्मान की अधिकारी बनीं। कुल मिलाकर साहित्य जगत के लिए  वर्ष 2014 मिलाजुला रहा। हिन्दी लेखक गोविंद मिश्र, रमेशचंद्र शाह, आस्तिक वाजपेयी, विश्वनाथ त्रिपाठी, संजीव अपनी लेखनी के लिए पुरस्कृत हुए वहीं अन्य भाषाओं के रचनाकार भी सम्मानित किए गए।


 
हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद मिश्र को 22 सितंबर को वर्ष 2013 का प्रतिष्ठित ‘सरस्वती सम्मान’ प्रदान किया गया। मिश्र को यह सम्मान उनके 2008 में प्रकाशित उपन्यास ‘धूल पौधों पर’ के लिए प्रदान किया गया।
 
वर्ष 2014 के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए हिन्दी के लेखक डॉ. रमेशचन्द्र शाह सहित 22 रचनाकारों का चयन किया गया है।
 
हिन्दी में डॉ. शाह को उनके उपन्यास ‘विनायक’ के लिए यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई, जबकि उर्दू के नामचीन शायर मुनव्वर राना को उनके काव्य संग्रह ‘शाहदाबा’ के लिए पुरस्कार से नवाजा जाएगा। 
 
वर्ष 2014 के साहित्य अकादमी पुरस्कार 22 भाषाओं में 8 कविता-संग्रह, 5 उपन्यास, 3 निबंध-संग्रह, 3 कहानी संग्रह, 1 आत्मकथा और 1 समालोचना के लिए दिए जाएंगे। अंग्रेजी के लिए यह पुरस्कार आदिल जस्सावाला को उनके कविता संग्रह ‘ट्राईंग टू से गुडबाई’ के लिए, राजस्थानी में रामपाल सिंह राजपुरोहित, असमिया में अरूपा पतंगीया कलिता, नेपाली में नंद हाड़खिम को उनके कहानी संग्रहों के लिए तथा कश्मीरी में शाद रमज़ान, ओड़िया में गोपालकृष्ण रथ, सिंधी में गोपे कमल, बांग्ला में उत्पल कुमार बसु, बोडो में उख्राव गोरा ब्रह्म को उनके कविता संग्रह के लिए दिया जाएगा। 
 
मार्च महीने में मशहूर असमी कवि रवीन्द्र सरकार को उनके काव्य संग्रह ‘धुलियोरी भारिर सांस’ के लिए वर्ष 2013 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अकादमी की तीन सदस्यीय चयन समिति ने असमिया भाषा के लिए रवीन्द्र सरकार की कृति का चयन किया। वर्ष 2012 के आखिर में जब साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की गयी थी तब 24 भाषाओं में से गुजराती और असमिया भाषा के लिए यह पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया था। इसके बाद गुजराती के कवि चीनू मोदी के काव्य संग्रह ‘खाराजाड़न’ का भी साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चयन किया गया।
 
साल 2014 का भारत भूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार आस्तिक वाजपेयी ने ‘सदानीरा’ के दिसंबर 2013 के अंक में प्रकाशित उनकी कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’ के लिए अपने नाम किया।
 
वर्ष 2013 का व्यास सम्मान डॉक्टर विश्वनाथ त्रिपाठी को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार उनकी रचना ‘व्योमकेश दरवेश’ के लिए दिया गया।
 
देश में हिन्दी साहित्य तथा भारतीय भाषाओं के क्षेत्र में प्रतिष्ठित माना जाने वाला श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान वर्ष 2013 के लिए हिन्दी के प्रमुख कथाकार संजीव को प्रदान किया गया।
 
‘तीस साल का सफरनामा’, ‘दुनिया की सबसे हसीन औरत’, ‘प्रेत मुक्ति’, ‘ब्लैक होल’, ‘गली के मोड़ पर सूना-सा कोई दरवाजा’ जैसी रचनाओं के रचनाकार संजीव ने करीब 150 कहानियां और दर्जन भर उपन्यास लिखे हैं।
 
अगले पेज पर देखें : बिछड़े सभी बारी-बारी 
 
 

बिछड़े सभी बारी-बारी  

webdunia

 

नामदेव धसाल :15 जनवरी को भारत के जानेमाने कवि और सामाजिक कार्यकर्ता नामदेव धसाल का देहावसान हो गया। 
 
सुनंदा पुष्कर : 17 जनवरी को मशहूर हस्ती 50 वर्षीया सुनंदा पुष्कर रहस्यमयी ढंग से होटल में मृत पाई गई। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा का जाना 17 से 21 जनवरी 2014 को संपन्न जयपुर साहित्य महोत्सव में खासा चर्चा का विषय रहा। सुनंदा हर वर्ष साहित्य उत्सव में शामिल होती थीं। उनका आकस्मिक निधन जयपुर साहित्य उत्सव के हर सत्र में किसी ना किसी तरह से उभर कर सामने आया। 
 
खुशवंत सिंह : 20 मार्च को मशहूर उपन्यासकार और स्तंभकार खुशवंत सिंह का न रहना साहित्य के लिए बड़ी क्षति रही। दुनिया भर में अपनी विशिष्ट लेखनी के लिए पहचाने जाने वाले खुशवंत के लिए एक ही जुमला साहित्यकारों की जुबान पर रहा कि आप उनसे सहमत हो सकते हैं या असहमत हो सकते हैं लेकिन आप उन्हें खारिज नहीं कर सकते हैं। खुशवंत सिंह 99 वर्ष की उम्र में प्रशंसकों को दुखी कर गए जबकि उनके 100वें वर्ष के लिए सभी को इंतजार था। 
 
शक्तिपदा राजगुरु  : बांग्ला साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर शक्तिपदा राजगुरु  12 जून 2014 को दुनिया छोड़ गए। 
 
प्राण कुमार शर्मा : 6 अगस्त 2014 का दिन बाल साहित्य के लिए बेहद कष्टप्रद रहा। मशहूर कार्टूनिस्ट और बाल साहित्यकार प्राण का 75 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। उनके द्वारा रचे चाचा चौधरी, साबू, पिंकी, बिल्लू, श्रीमतीजी, रमन, चन्नी चाची जैसे कई रोचक चटपटे मजेदार किरदारों ने हजारों बच्चों का बचपन गुदगुदाया...उनके कॉमिक्स की लंबी और लोकप्रिय श्रृंखला रही। उनके रेखांकन और चुटीले संवादों के सुंदर संयोजन ने कई सालों तक भारतीय बच्चों का भरपूर मनोरंजन किया।    
 
यूआर अनंत मूर्ति : 22 अगस्त को कन्नड़ साहित्य का बड़ा नाम यू आर अनंत मूर्ति अनंत में लीन हो गए। 
 
श्रीराम ताम्रकर : 13 दिसंबर 2014 को देश के जानेमाने फिल्म समीक्षक और लेखक श्रीराम ताम्रकर का इंदौर में देहावसान हो गया। ताम्रकर जी ने फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी प्रामाणिक और प्रभावी छाप छोड़ी। हजारों लेखों, साक्षात्कारों, समीक्षाओं और दर्जनों पुस्तकों के जरिए उन्होंने फिल्म लेखन को रोचक और रचनात्मक बनाया। उन्हें उनके फिल्मों से संबंधित संकलन के लिए इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फिल्म कहा जाता था। जाते-जाते वे फिल्मों पर ऐसा प्रामाणिक दस्तावेज तैयार कर गए कि सदियों तक भारतीय पाठक उनका कृतज्ञ रहेगा।  

नंद चतुर्वेदी : 25 दिसंबर 2014 को हिन्दी कवि श्री नंद चतुर्वेदी का 91 वर्ष की आयु में  राजस्थान में निधन हो गया।  वे बिन्दु पत्रिका के संपादक रहे। 'शब्द संसार की यायावरी' नामक निबंध संग्रह पर उन्हें राजस्थान का सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
 
अगले पेज पर देखें साहित्य जगत की वर्ष भर की कुछ प्रमुख लिंक्स 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati