मुंबई। सोने के आयात पर प्रतिबंधों के चलते लगातार दूसरे साल सोने की चमक फीकी रही। वर्ष 2014 समाप्त होते होते पिछले साल के मुकाबले सोना 10 प्रतिशत और चांदी 20 प्रतिशत नीचे आ गई।
सरकार ने सोने में निवेश की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए इसके आयात पर कड़े प्रतिबंध लगाए। वर्ष के बड़े हिस्से में ये प्रतिबंध जारी रहे। सरकार का मानना है कि सोना खरीदकर घर में रखना अनुत्पादक गतिविधि है, लेकिन प्रतिबंधों के चलते वर्ष के दौरान तस्करों ने खूब चांदी काटी। चांदी के लिए साल और भी खराब रहा, क्योंकि इसकी कीमत में करीब 20 प्रतिशत गिरावट आई।
साल 2014 खत्म होने को है और सोने की कीमत घटकर 26,000-27,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के दायरे में है। पिछले साल अंत में यह 30,000 रुपए प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर था।
इधर, चांदी की कीमत में ज्यादा गिरावट आई। चांदी वर्ष की शुरुआत में 44,000 रुपए के आसपास से घटती हुई वर्षांत तक 36,000 रुपए प्रति किलोग्राम रह गई।
साल के काफी हिस्से में सोने पर आयात प्रतिबंध जारी रहे जिससे बेशकीमती धातुओं की कीमत घटी। हालांकि रिजर्व बैंक ने इनमें से कई प्रतिबंधों को हटा लिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार में जोरदार तेजी है। निवेशक इसमें निवेश करना पसंद कर रहे हैं। सर्राफा स्टॉकिस्टों की बिकवाली का दबाव होने के साथ-साथ वैश्विक धातु बाजारों में नरमी के रुझान से भारत में सोने का बाजार नीचे आया।
साल की शुरुआत में सोना करीब 29,800 रुपए पर था, जो 3 मार्च को 30,795 प्रति 10 ग्राम के उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद घटकर 26,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गया।
शुद्ध सोना (99.9 शुद्धता) भी साल की शुरुआत में 30,945 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था लेकिन बाद में गिरावट शुरू हुई और दिसंबर 2014 में यह 27,000 रुपए के करीब पहुंच गया।
चांदी भी इस साल 50,000 रुपए के उच्चतम स्तर को छूने के बाद समाप्ति तक 36,000-37,000 रुपए पर आ गई। वर्ष 2013 की समाप्ति पर यह 44,230 रुपए प्रति किलो पर थी।
भारतीय मुद्रा के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण भी सोने पर बिकवाली का दबाव पड़ा जबकि त्योहारी मांग इस साल अपेक्षाकृत कमजोर रही।
सरकार ने राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के लिए सोना आयात पर पिछले साल कड़े प्रतिबंध लगाए थे जिनमें चालू खाते के बढ़ते घाटे पर नियंत्रण और रुपए में गिरावट पर लगाम लगाने के लिए सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना शामिल है। इसके कारण तस्करी की घटनाएं बढ़ीं।
हालांकि मई में संप्रग सरकार का कार्यकाल खत्म होने के ठीक पहले प्रतिबंध में ढील दी गई जबकि नई सरकार ने सत्ता संभालने के बाद पिछले महीने प्रतिबंधों को और ढीला कर दिया। सरकार ने अब वैश्विक रुझान में कमजोरी को ध्यान में रखते हुए सोने और चांदी पर आयात शुल्क मूल्य में भी कटौती की।
इस बीच सोने की कीमत भी औद्योगिक उपयोक्ताओं द्वारा खरीदारी कम करने के कारण घटी। इक्विटी बाजार में तेजी का भी धातुओं के रुझान पर असर हुआ, क्योंकि निवेशकों ने अपना धन धातु से निकाल शेयरों में लगाना शुरू किया।
इस साल धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान खरीदारी कम हुई तो शादी के मौसम में भी मांग उतनी नहीं बढ़ी जितनी उम्मीद थी।
वैश्विक बाजार में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से साल के मध्य तक सोना 1,300 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया, हालांकि इसके बाद साल अंत तक हेज फंडों की मुनाफा वसूली से यह घटकर 1,140 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। (भाषा)