काफी समय पहले कल्माशपाद नाम के एक राजा हुआ करते थे। एक बार उन्होंने वन में वशिष्ठ मुनि के पुत्र व बहू को देखा। उस समय उनका पुत्र ध्यान में बैठा हुआ था। राजा ने मुनि से कहा कि रास्ते से हट जाओ परंतु मुनि ने नहीं सुना, तो राजा ने क्रोध में आकर मुनि पर चाबुक से प्रहार करना शुरू कर दिया। यह देख वशिष्ठ मुनि के दूसरे पुत्र ने राजा को श्राप दिया कि राजा तू राक्षस होगा और पुरुषों का भक्षण करेगा। राजा ने अपनी गलती की क्षमा मांगी परंतु उसे माफी नहीं मिली। राजा वशिष्ठ मुनि के पुत्रों व बहू को खा गया। रात को राजा को कई बुरे स्वप्न आए। उसने सुबह मंत्री को बताया। मंत्री राजा को लेकर वशिष्ठ मुनि के पास आया।
वशिष्ठ मुनि ने राजा से कहा कि राजन आप अंवतिका नगरी में महाकालेश्वर के पास स्थित शिवलिंग के दर्शन करें, इससे आप के सभी दुःस्वप्न का नाश होगा।
राजा वशिष्ठ मुनि के कहे अनुसार अवंतिका नगरी में आया और यहां शिवलिंग का दर्शन-पूजन किया राजा के बुरे सपनों का नाश होने के कारण शिवलिंग स्वप्नेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है स्वप्नेश्वर महादेव के दर्शन से बुरे सपनों का नाश होता है। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में स्थित है।