Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

84 महादेव : श्री अंगारेश्वर महादेव(43)

84 महादेव : श्री अंगारेश्वर महादेव(43)
पहले कल्प में लाल शरीर की शोभावाला टेढ़ा शरीर वाला क्रोध से युक्त एक बालक शिव जी के शरीर से उत्पन्न हुआ। इसे शिवजी ने धरती पर रख दिया। उसका नाम भूमिपुत्र हुआ। जन्म से ही उसका शरीर भयावह रहा। जब वह धरती पर चलने लगा तो धरती कांपने लगी, समुद्रों में तूफान आने लगा। यह सब देखकर देवताओं-मनुष्यों में चिंता होने लगी ओर वे देवगुरु बृहस्पति के पास गए। उन्होंने कहा कि बालक भगवान शंकर के शरीर से उत्पन्न हुआ है ओर उत्पन्न होते ही उत्पात मचा दिया है। यह सब सुनकर देवगुरु  देवताओं को लेकर कैलाश पर्वत गए ओर भगवान को त्रासदी के बारे में बताया। यह सुन भगवान ने बालक को अपने पास बुलाया। बालक ने आकर शिवजी से पूछा हे प्रभु मेरे लिए क्या आज्ञा है। मैं क्या करूं। तब भगवान ने कहा बालक तुम्हारा नाम अंगारक रखा है। तुम्हें पृथ्वी पर लोगों के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए बजाए विनाश के। यह वचन सुनकर बालक उदास हो गया। तब भगवान ने अपनी गोद में बैठाकर समझाया। हे पुत्र, मैं तुम्हें उज्जैन नगरी में उत्तम स्थान देता हूं। महाकाल वन में खगर्ता व शिप्रा का संगम है।



शिव ने कहा मैंने जब गंगा को मस्तक पर धारण किया था। उस समय वह गुस्से से चंद्र मंडल से नीचे गिरी थी। आकाश से नीचे आने पर उसका नाम खगर्ता हुआ। इसलिए मैंने वहां अवतार लिया है। मैं तुम्हें तीसरा स्थान देता हूं। तुम वहां जाकर रहो इससे तीनों लोकों में तुम्हें जाना जाएगा। तुम्हारी तृप्ति भी होगी। लोग तुम्हारी प्रसन्नता के लिए चतुर्थी का व्रत करेंगे, पूजन करेंगे ओर दक्षिणा देंगे। इससे तुम्हें भोजन की तृप्ति होगी। तब बालक यहां पर आया। इसके बाद से ही इनके दर्शन से भक्तों को सर्वसंपदा प्राप्त होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati