ख्यात चित्रकार और साहित्यकार प्रभु जोशी ने कहा कि चूंकि वेबदुनिया पहला हिन्दी पोर्टल है, इसलिए उसकी ऐतिहासिक भूमिका है।
उस समय यह कहा जा रहा था कि हिन्दी में कोई पोर्टल संभव नहीं है और इंटरनेट के आते ही हिन्दी इस देश से विदा हो जाएगी या उसको हाशिये पर कर दिया जाएगा, लेकिन आज जब 15 साल बीत चुके हैं तो लगता है कि एक कदम जो उठाया गया था वह कितना सार्वदेशीय हो गया है। क्योंकि मैं खुद इसलिए जानता हूं कि जब भी वेबदुनिया पर मेरा कोई आर्टिकल, लेख या टिप्पणी जाती है तो मुझे न जाने कितने ही देशों से उस पर प्रतिक्रिया आती है, जो हिन्दी में रुचि रखते हैं।
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निश्चित ही यह कार्य चुनौतीपूर्ण था। वेबदुनिया ने लगभग आंदोलन के स्तर पर यह यात्रा की। वेबदुनिया ने भाषा ही नहीं तकनीक को लेकर भी जो काम किया वह बहुत ही साहसपूर्ण है। मैं चाहता हूं कि वेबदुनिया से उन तमाम लोगों को जुड़ना चाहिए जो अपनी भाषा से प्रेम करते हैं। वेबदुनिया को 15 वर्ष पूर्ण करने पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं।